गुजरात-मप्र के बीच नर्मदा के पानी पर जारी कलह के बीच एक बड़ी खबर है। यहां सरदार सरोवर नर्मदा बांध के जलाशय का जलस्तर काफी बढ़ गया है। पहली बार इस जलाशय में पानी 135 मीटर की ऊंचाई तक दर्ज किया गया। इससे पहले 27 अगस्त को 134 मीटर और 20 अगस्त को 133 मीटर की ऊंचाई तक दर्ज हुआ था। जलाशय में इतना पानी भरा होने की वजह से दो राज्यों में जलापूर्ति की जा सकती है। इसलिए, नर्मदा परियोजना को जीवन-रेखा जलापूर्ति के रूप में देखा जाता है। वहीं, बढ़े हुए जलस्तर पर खुशी जाहिर करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘यह ऐतिहासिक है। यह खबर तो आपको रोमांचित कर देगी!’
हालांकि, इस बढ़े जलस्तर की वजह से मध्य प्रदेश के निचले इलाकों के लोग भयभीत हैं। इसकी वजह से है उनका डर, उन्हें लगता है कि गुजरात सरकार ने यदि अधिक मात्रा में पानी छोड़ा तो गांव डूब सकते हैं।
पहली बार नर्मदा बांध के जलाशय में इतना पानी
नर्मदा बाढ़ नियंत्रण कार्यालय से प्राप्त आधिकारिक रिपोर्ट में बताया गया है कि बीते रविवार को जलाशय का जलस्तर 134.99 मीटर था। उसके बाद यह पहली बार सुबह 9 बजे 135.00 मीटर पर पहुंच गया। आज दोपहर 1 बजे तक औसत प्रवाह 218431 क्यूसेक और बहिर्वाह 188833 क्यूसेक से थोड़ा ही कम देखा गया। ऐसे में नर्मदा बांध पर 30 गेट लगाए गए हैं। गेट बंद किए जाने पर जलस्तर की अधिकतम ऊंचाई 121.92 मीटर से बढ़कर 138.68 मीटर हो गई है।
नर्मदा बांध प्रोजेक्ट पर 75,000 करोड़ रुपए खर्च हुए
हाल ही मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने कहा, नर्मदा बांध के जलाशय को अधिकतम स्तर तक ले जाने के लिए गुजरात को नर्मदा कमान प्राधिकरण से किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं है। हम सभी तकनीकी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए सावधानी से जलस्तर बढा रहे हैं। गुजरात सरकार ने भारत सरकार की सहायता के साथ नर्मदा बांध के लिये 75,000 करोड़ रुपए खर्च किए हैं।अभी पानी खेतों में ले जाने के लिये माईक्रो कैनल नेटवर्क का काम चल रहा है।
10 हजार से ज्यादा गांवों में हो रही इससे पानी की आपूर्ति
मौजूदा समय में नर्मदा बांध से राज्य के 167 कस्बों और 10 हजार से अधिक गांवों में रहने वाले 3 करोड़ लोगों को पीने के पानी की आपूर्ति की जा रही है। जलाशय में लाइव स्टोरेज 4607.90 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) पाया गया है। पिछले महीने नदी के बहाव क्षेत्र में पानी के निर्वहन के लिए बांध के 30 गेटों में से 10 को 2.3 मीटर तक खोला गया था। एक अन्य खास बात यह है कि पहले के दो वर्षों के दौरान बांध का उच्चतम स्तर 25 सितंबर, 2017 को 130.75 तक पहुंच गया था।
जल-विद्युत उत्पादन प्रणाली की सभी 6 इकाईयां 2 साल बाद शुरू
नर्मदा जलाशय से नदी में पानी के निर्वहन के कारण, नदी के जल-विद्युत उत्पादन प्रणाली की सभी 6 इकाईयां ऑपरेशन के 2 साल बाद शुरू हो गई हैं। बिजली पैदा करने के लिए 200 मेगावाट के 6 फ्रांसिस पंप-टर्बाइन हैं। जिनमें पंप-स्टोरेज क्षमता भी शामिल है। इसके अतिरिक्त, मुख्य नहर पर बिजली संयंत्र में पांच 50 मेगावाट टरबाइन-जनरेटर शामिल हैं। बिजली सुविधाओं की कुल स्थापित क्षमता 1,450 मेगावाट है। यानी पानी के साथ-साथ ही जनता को बिजली भी मिल रही है।