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छत्तीसगढ़ : सरकार नहीं, खुद के दम पर कुपोषण से लड़ रही है ये संस्था




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अवाम-ए-हिंद वेलफेयर कमेटी एक ऐसी संस्था है, जो लगातार सुपोषण के क्षेत्र में काम कर रही है। जरूरतमंदों तक दो निवाला पहुंचाने का काम कर रही है। इसके पदाधिकारी सुपोषण के लिए किसी सरकारी योजनओं या किसी अभियान की तारीख का इंतजार नहीं करते।

न दिन देखते हैं, न रात। जब भी समय मिलता है और पोषित आहार का बंदोबस्त होता है, निकल पड़ते हैं जरूरतमंदों तक पहुंचाने के लिए। जी हां, अवाम-ए-हिंद वेलफेयर कमेटी पिछले कई सालों से जरूरतमंद बच्चों, बुजुर्गों, महिलाओं को 365 दिन खाना खिलाने का काम कर रही है।

इसके लिए न सरकार से फंड लेती है और न ही किसी से चंदा। संगठन में जितने लोग हैं, आपस में चंदा करके हर दिन गरीब और जरूरतमंद लोगों के लिए खाना बनाकर उनके पास पहुंचाते हैं। साथ ही गर्मी के मौसम में सड़कों और रेलवे स्टेशन में स्टॉल लगाकर पानी, छाछ, शरबत आदि बांटकर लोगों की प्यास बुझाने का काम करती है।

इतना ही नहीं, यह इस संस्था के द्वारा कुछ बुजुर्गों के यहां टिफिन भी पहुंचाया जाता है। आपको बता दें कि जिन बुजुर्गों का इस दुनिया में कोई नहीं है, जो लावारिश रेलवे स्टेशन और रोड से उठाए गए थे, उन्हें संस्था द्वारा छत मुहैया करवाया गया। साथ ही हर दिन उन्हें गरम भोजन का टिफिन पहुंचाया जा रहा है, जिससे बेसहारों को सहारा मिल गया और बुजुर्ग आराम से जीवन बसर कर रहे हैं।

अलग-अलग जगहों में वितरित किया जाता है भोजन

संस्था द्वारा हर दिन अलग-अलग जगहों में भोजन वितरित किया जाता है। संस्था के लोग रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, सरकारी अस्पतालों व सड़क के किनारे हर दिन जाकर गरम खाना परोसने का काम करते हैं। संस्था के सदस्यों का मानना है कि जिस प्रकार एक अमीर बिना खाना खाए नहीं सोता उसी प्रकार कोई गरीब बच्चा या बुजुर्ग बिना खाना खाए रात को नहीं सोए।

नेक काम के लिए शहर के लोग लगातार जुड़ रहे हैं

अवाम-ए-हिंद वेलफेयर कमेटी मात्र 11 लोगों से शुरू हुआ था। आज लगभग 500 से अधिक लोग इस संस्था से जुड़ चुके हैं। आपको बता दूं कि यह एक ऐसी संस्था है, जो हिंदुस्तान के अवाम के लिए है। जिसमें संस्था में समाज के हर कौम के लोग जुड़े हैं और लगातार जुड़ रहे हैं। संस्था के लोग हर दिन जरूरतमंदों के लिए एक मसीहा बनकर आते हैं। और लोगों के पेट की भूख मिटाने का काम करते हैं।