Home क्षेत्रीय खबरें / अन्य खबरें मिट्टी के बगैर शहर में हो रही स्ट्रॉबेरी की पैदावार, खबर में...

मिट्टी के बगैर शहर में हो रही स्ट्रॉबेरी की पैदावार, खबर में जानें कैसे, देखें Video




IMG-20240704-WA0019
IMG-20220701-WA0004
WhatsApp-Image-2022-08-01-at-12.15.40-PM
1658178730682
WhatsApp-Image-2024-08-18-at-1.51.50-PM
WhatsApp-Image-2024-08-18-at-1.51.48-PM

प्रधानमंत्री मोदी का किसानों की आमदनी बढ़ाने का फार्मूला बरेली में एक कामयाबी हासिल करने जा रहा है। बरेली में संभवत: देश का पहला आठ लेयर हाईड्रोपोनिक फार्मिंग प्रोजेक्ट तैयार हो गया है। यहां बगैर मिट्टी और रसायनिक खाद के स्ट्रॉबेरी की पैदावार होगी।बदायूं रोड पर रामचंद्र पुरम कालोनी में अपने घर में ही रिटायर्ड बैंक अधिकारी श्यामपाल सिंह ने अपनी पुत्रबधू ऋचा सिंह के साथ मिलकर हाईड्रोफार्मिंग की शुरुआत की है। यह हाईड्रोफार्मिंग प्रोजेक्ट एक हजार वर्ग फुट के प्लॉट पर लगाया है। इसमें साधारण खेती के मुकाबले सिर्फ एक से दो फीसदी पानी की खपत होती है। जबकि उत्पादन 10 से 100 गुना तक होता है। श्यामपाल सिंह का कहना है कि अभी तक देश के कुछ राज्यों में सिर्फ सिंगल लेयर के ही प्रोजेक्ट लगाए गए हैं।

ऐसे तैयार किया प्रोजेक्ट

हाईड्रोफार्मिंग प्लांट को प्लास्टिक के पाइप के जरिए तैयार किया गया है। पाइप में पौधों के लिए जरूरी पोषक तत्व पानी के जरिए भेजे जाते हैं। प्लांट के ऊपर पारदर्शी प्लास्टिक की सीट लगाई गई है, जिससे सूर्य का प्रकाश पौधों को मिलता रहे। ऋचा ने प्लांट में स्ट्रॉबेरी की पैदावार करने का फैसला किया है। हिमाचल से स्ट्रॉबेरी की पौध लाई गई है।

छिलके के बुरादे में लगता है पौधा

इस फार्म में पौधा मिट्टी नहीं बल्कि नारियल के बुरादे में लगाया जाता है। नेटकप में बुरादा भरकर उसमें पौधा लगाया जाता है। महीने में दो बार पानी बदला जाता है। पानी में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, मैग्नीशियम, कैल्शियम, सल्फर, जिंक और आयरन आदि तत्वों को एक खास अनुपात में मिलाया जाता है। इससे पौधों को जरूरी पोषक तत्व मिलता रहता है। इस पूरे प्रोजेक्ट पर करीब दस लाख रुपये खर्च हुए हैं।

एक बार पौध लगाने पर 5 वर्ष तक फसल

हाईड्रोपोनिक्स फार्मिंग में एक बार पौध लगाने के बाद पांच साल तक फसल आती रहती है। प्लांट में तापमान मैनटेन रखने के लिए कूलिंग सिस्टम लगाया गया है। फसल की जरूरत के मुताबिक तापमान मुहैया मिलने की वजह से लगातार पैदावर होती रहती है। हर मौसम में फल और सब्जियां उगाई जा सकती हैं।

बेटे सौरभ के आइडिया पर आगे बढ़ा परिवार

श्यामपाल सिंह के बेटे सौरभ सिंह ने आईआईटी दिल्ली से पीएचडी से की है। कई अविष्कार के लिए राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित हो चुके हैं। सौरभ सिंह ने हाईड्रोपोनिक फार्मिंग का आईिडया अपने पिता और पत्नी को दिया। सौरभ की पत्नी ऋचा सिंह एमसीए हैं। नोएडा की मल्टीनेशनल कंपनी में काम कर चुकी हैं। ऋचा सिंह ने हाइड्रोपोनिक फार्मिंग के बारे में जानकारी जुटाई। अध्ययन भी किया। इसके बाद श्यामपाल सिंह ने अपने घर के खाली हिस्से में प्लांट लगाने का फैसला किया।

हमारे पास शहर से सटी 60 बीघा जमीन है। हम उसमें हाईड्रोपोनिक फार्मिंग शुरू करेंगे। अभी हमने छोटा प्लांट लगाया है। हाइड्रोपोनिक फार्मिंग में तैयार होने वाली फसल में बीमारी नहीं होती। पैदावार भी साधारण खेती से कई गुना होती है। जबकि लागत कई गुना कम।
श्यामपाल सिंह

हमने नोएडा के अपने घर में दो साल पहले हाईड्रोपोनिक फार्मिंग की थी। छोटा सा प्लांट लगाकर टमाटर पैदा किया था। मेरे पति ने इसको बड़े स्तर पर करने को कहा। हमनें बरेली में आठ लेयर का हाईड्रोमिक्स प्लांट लगाया है।
ऋचा सिंह

हाईड्रोपोनिक फार्मिंग प्रदेश के लिए नया प्रोजेक्ट है। मैं बरेली के प्रोजेक्ट को शासन के पास भेज रहा हूं। ताकि सब्सिडी की गाइड लाइंस में इसको शामिल किया जा सके। फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिए प्रशासन पूरी मदद करेगा।