हमारे धार्मिक ग्रंथों में राम और रामायण के चरित्र का हमारे जीवन में गहरा प्रभाव है।रामायण का संबंध केवल भारत से नहीं श्रीलंका से भी है। जब हम इस ग्रंथ का जिक्र करते है तो श्रीलंका के नजरअंदाज नहीं कर सकते, क्योंकि बिना रावण के रामायण नहीं हैं। सबको पता है कि रावण, सीता का हरण करके लंका ही ले गया था। श्रीलंका में आज भी वो जगह है जिनका संबंध रामायण काल से है।
यहां हुआ रावण वध
यहां का सिन्हाला शहर में वेरागनटोटा नाम की एक जगह है, जिसका मतलब ‘विमान उतरने की जगह’ होता है। कहते हैं कि यही वो जगह है, जहां रावण का पुष्पक विमान उतरता था। श्रीलंका रामायण रिसर्च कमेटी के द्वारा के अनुसार, भगवान हनुमान का श्रीलंका में उत्तर दिशा में आने के नागदीप से शुरु होने के निशान मिले हैं। उस स्थान की भी तलाश पुरी कर ली गई है, जिस जगह पर राम व रावण के बीच युद्ध हुआ था। श्रीलंका में आज भी उस युद्घ-स्थान को युद्घागनावा नाम से जानते है, जहां पर रावण का भगवान राम ने वध किया था।
यहां हनुमानजी के पैरों के निशान
अशोक वाटिका वो जगह है जहां रावण ने माता सीता को रखा था। इस जगह को अब सेता एलीया के नाम से जाना जाता है, जो की नूवरा एलिया नामक जगह के पास स्थित है। यहां सीता का मंदिर है और पास ही एक झरना भी है। कहते हैं देवी सीता यहां स्नान किया करती थीं। इस झरने के आसपास की चट्टानों पर हनुमान जी के पैरों के निशान भी हैं। यहां वो पर्वत भी है जहां हनुमान जी ने पहली बार कदम रखा था, इसे पवाला मलाई कहते हैं। ये पर्वत लंकापुरा और अशोक वाटिका के बीच में है।
इस तालाब में गिरे मां सीता के आं सू
कैंडी से लगभग 50 किलोमीटर दूर नम्बारा एलिया मार्ग पर एक तालाब है, जिसे सीता टियर तालाब कहते हैं। इसके बारे कहते है बेहद गर्मी के दिनों में जब आसपास के कई तालाब सूख जाते हैं तो भी यह नहीं सूखता। आसपास का पानी तो मीठा है लेकिन इस का पानी आंसुओं जैसा खारा है। कहते हैं कि रावण जब सीता माता को हरण करके ले जा रहा था तो इसमें सीता जी के आंसू गिरे थे।
रावनागोड़ा
यहां रावनागोड़ा नाम की जगह है। इस जगह पर कई गुफाएं और सुरंगें हैं। ये सुरंगें रावण के शहर को अंदर ही अंदर जोड़ती थी। यहां के लोगों का मानना हैं कि कई सुरंगें तो साउथ अफ्रीका तक गई हैं, जिनमें रावण ने अपना सोना और खजाना छुपाया था। ये सुरंगें नेचुरल नहीं हैं, बनाई गई हैं।
सीता ने दी थी अग्नि परीक्षा
यहां की वेलीमड़ा जगह में डिवाउरूम्पाला मंदिर है। यह वहीं जगह है, जहां माता सीता ने अग्नि परीक्षा दी थी। स्थानीय लोग इस जगह पर सुनवाई करके, न्याय करने के का काम करते हैं। यहां मान्यता है कि जिस तरह इस जगह पर देवी सीता ने सच्चाई साबित की थी, उसी तरह यहां लिया गया हर फैसला सही साबित होता है।