सरकार ने गुरुवार को ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने के लिए अध्यादेश जारी किया है. अध्यादेश ई-सिगरेट के उत्पादन, निर्माण, आयात, निर्यात, ट्रांसपोर्ट, बिक्री, वितरण और विज्ञापनों को संज्ञेय अपराध बनाता है. ई-सिगरेट बैटरी से चलने वाला उपकरण हैं जो निकोटीन युक्त घोल को गर्म करके एरोसोल का उत्पादन करते हैं, जो कि दहनशील सिगरेट में नशीला पदार्थ होता है.
नए प्रावधान के तहत इसके उल्लंघन पर एक साल तक की कैद या पहली बार उल्लंघन करने वालों के लिए 1 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रवधान है. अध्यादेश के अनुसार अधिक बार उल्लंघन करने पर तीन साल तक की कैद और 5 लाख रुपये तक का जुर्माना है. 2003 में एक चीनी फार्मासिस्ट होन लिक ने इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट ईजाद की थी. कंपनी गोल्डन ड्रैगन होल्डिंग्स ने 2005-2006 में विदेशों में इसकी बिक्री शुरू की और बाद में इसका नाम बदलकर रूयान (मतलब, धूम्रपान के जैसा”) रखा.
इलेक्ट्रॉनिक-सिगरेट रखने पर भी छह महीने तक की कैद या 50,000 रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकता है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को घोषणा की थी कि मंत्रिमंडल ने सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए जल्द कार्रवाई करने की आवश्यकता का हवाला देते हुए ई-सिगरेट पर प्रतिबंध को मंजूरी दे दी. अमेरिका के डेटा से पता चलता है कि कई हाई स्कूल और मिडिल-स्कूल के छात्र ई-सिगरेट ले रहे हैं.
भारत में ई-सिगरेट का इस्तेमाल बढ़ रहा है. अगस्त 2018 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने राज्य सरकारों को इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन वितरण प्रणाली, या ईएनडीएस के निर्माण, बिक्री और आयात को रोकने के लिए एक एडवाइजरी जारी की थी, जिसमें ई-सिगरेट, वाइप, ई-शीशा, ई-निकोटीन- शामिल हैं. पंजाब, कर्नाटक, मिजोरम, केरल, जम्मू और कश्मीर, बिहार और उत्तर प्रदेश ने पहले ही ऐसे उपकरणों की बिक्री, निर्माण, वितरण और आयात पर रोक लगा दी है.