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रायपुर एम्स में यूनानी पद्धति से होगा अब गठिया और गर्दन दर्द का इलाज




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अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संसथान ( एम्स) रायपुर के यूनानी चिकित्सा विभाग ने कपिंग थैरेपी की सुविधा गुरुवार से प्रारंभ कर दी। इससे गठिया, गर्दन दर्द समेत विभिन्ना बीमारियों का इलाज होगा। पहले ही दिन 500 मरीजों का इलाज किया गया।

यूनानी चिकित्सा विभाग में कार्यरत डॉ. अदनान मस्तान ने बताया कि कपिंग थैरेपी वैकल्पिक चिकित्सा का एक प्राचीन रूप है। इसके अंतर्गत त्वचा पर एक स्थानीय सक्शन बनाया जाता है। उन्होंने बताया कि इससे ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है और उपचार में मदद मिलती है।

इस थैरेपी से ऊतक संपीडन के बजाय नकारात्मक दबाव का उपयोग करती है। सक्शन कप थैरेपी एक पारंपरिक, समय से सम्मानित उपचार है जो दुनिया भर में लाखों लोगों का पसंदीदा है, क्योंकि यह सुरक्षित, आरामदायक है और उल्लेखनीय परिणाम देता है।

इन रोगों का किया जा रहा उपचार

घुटने के पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस, पीठ दर्द और काठ का दर्द (लम्बागो), सरल गठिया, गठिया और मस्कुलोस्केलेटल दर्द, फाइब्रोमायल्गिया और फाइब्रोसाइटिस, गर्दन और कंधे में दर्द, सर्वाइकल स्पोंडिलाइटिस, दर्दनाक तनाव, मोच, प्लांटार फासिसाइटिस, उच्च रक्तचाप, चर्बी का ज्यादा होना, सिरदर्द और माइग्रेन, कार्पल टनल सिंड्रोम, क्रोनिक साइनोसाइटिस (एंटीबायोटिक प्रतिरोधी क्रोनिक साइनोसाइटिस), ओटिटिस मीडिया, त्वचा की सभी बीमारी में, सफेद दाग, गंजापन एवं बालों का झड़ना, सोरायसिस, थायराइड की शिथिलता, हार्मोनल असंतुलन की स्थिति, थैलेसीमिया, सेल्युलाइटिस का इलाज किया जा रहा है।