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जानिए शेख चिल्ली को, जो विद्वान के साथ दारा शिकोह का गुरु भी था




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आमतौर पर हम लोग शेख चिल्ली को एक हसोड़ और ख्यालीपुलाव पकाने वाले शख्स के तौर पर जानते हैं. उसकी इसी तरह की ना जाने कितनी कहानियां और मुहावरे हमारे इर्द-गिर्द बचपन से रहे हैं. ऐसे में जब लोकप्रिय टीवी शो “कौन बनेगा करोड़पति” में एक सवाल के जवाब में बताया गया कि शेख चिल्ली मुगल बादशाह शाहजहां के पुत्र दारा शिकोह का गुरु थे, तो चौंकना स्वाभाविक था. शेख चिल्ली के बारे में जो बातें पता लगीं, वो उसके प्रति नजरिया बदलने के लिए काफी हैं. वो ना केवल विद्धान थे बल्कि जाने-माने सूफी संत भी.

बताते हैं दारा शिकोह अपने आध्यात्मिक गुरु शेख चिल्ली का बहुत सम्मान करते थे. उनके सम्मान में मकबरा भी बनवाया. सूफी संत शेख चिल्ली का असल नाम सूफी अब्द उर रज्जाक था. वो शेख चिल्ली के नाम से ज्यादा लोकप्रिय थे. वो ज्ञान और उदारता के लिए जाने जाते थे.

कई नामों से जाने जाते थे 

शेख चिल्ली मुगल शहजादे दारा शिकोह (1650) के गुरु थे. शाहजहां खुद उनका बहुत सम्मान करते थे. बताया जाता है कि मुग़ल बादशाह शाहजहां का बेटा दारा शिकोह शेख चिल्ली का बड़ा प्रशंसक था. उसने उनसे कई महत्त्वपूर्ण बातें सीखी. उन्हें अब्द उर्र रहीम, अलैस अब्द उइ करीम, अलैस अब्द उर्र रज्जाक के नाम से भी जाना जाता था. उस समय के लोग मानते थे कि वो महान दरवेश हैं. उनके नाम पर बनाया मकबरा हरियाणा के कुरुक्षेत्र के थानेश्वर में है.

थानेश्वर में शेख चिल्ली मकबरा

बलूचिस्तान में जन्म हुआ

ऐसा माना जाता है कि शेख चिल्ली का जन्म बलूचिस्तान के खानाबदोश कबीले में हुआ था. वो लगातार घुमक्कड़ी करते थे. यही घुमक्कड़ी उन्हें भारत ले आई. वैसे शेखचिल्ली ऐसी कहानियों के नायक हैं, जो आम लोक-जीवन के संघर्षों से बार-बार उबरता है. बार-बार उन्हीं संघर्षों में जुट जाता है. उसमें ईमानदारी है, निष्ठा है, मर्यादा है, परिस्थितिजन्य विवेक है. सबसे बड़ी बात ये भी कि कि वो वर्तमान में जीता है.

अपनी बातों से लोगों को मंत्रमुग्ध कर देते थे
दरअसल शेख चिल्ली भारतीय उपमहाद्वीप में एक रोचक चरित्र के रूप में बच्चों के बीच बहुत लोकप्रिय है. उनके बारे में शायद इतनी कहानियां इसलिए बनीं और गढ़ीं गईं, क्योंकि वो कभी ना तो व्यावहारिक की परवाह करते थे और ना ही दिखावे में रहते थे. बल्कि वो अपनी बातों से ही लोगों को मुग्ध कर देते थे. उनके बारे में ये भी कहा जाता है कि वो दिन में सपने देखते थे. बाद में उनकी इसी आदत ने उन्हें कॉमिक कैरेक्टर बना दिया.

शेख चिल्ली का ये मकबरा बेहद खूबसूरत है

बेहद खूबसूरत है उनका मकबरा
शेख चिल्ली का मकबरा कुरुक्षेत्र के बाहरी इलाके में एक ऊंचे टीले पर बनाया गया है. ये बहुत ही खूबसूरत है, जो मुग़ल वास्तुकला का बखूबी बखान करता है. इस मकबरे को बनाने में बलुआ पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है. ये मकबरा परिपत्र ड्रम के आकार का है जहां मकबरे का गुम्बद नाशपाती के आकार का है.

महान संत की कब्र मकबरे के निचले सदन में बिलकुल केंद्र में स्थित है. इस मकबरे के ठीक बगल में संत कि पत्नी की भी कब्र है जिसका निर्माण सैंड स्टोन से किया गया है. देखने पर ये मकबरा कुछ हद तक आगरा के ताजमहल से मिलता जुलता है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा दोनों ही इमारतों को संरक्षित इमारतों का दर्जा दिया जा चुका है.