जराइल और फिलीस्तीन के बीच में मौजूद है यह मृत सागर! इसको ‘डेड सी’ और ‘अरबी झील’ के नाम से भी जाना जाता हैं. इसके साथ ही मृत सागर समुद्र के तल से लगभग 400 मीटर नीचे दुनिया का सबसे निचला बिंदु है. इसकी लम्बाई करीब 65 किलोमीटर और चौड़ाई 8 किलोमीटर है. मृत सागर का पानी दुनिया के दूसरे जलस्रोतो से अधिक खारा है. इसमें मौजूद नमक औसतन एक घन फुट के लिए एक किलोग्राम होता है, लेकिन इसका पानी दूसरे समुद्रों से लगभग 6-7 गुना ज्यादा खारा होता है. इसकी दूसरी बड़ी खासियत यह है कि इस सागर का पानी अपने खारेपन की वजह से ज्यादा भारी होता है. इस कारण इसका पानी ऊपर से नीचे की ओर बढ़ता है. परिणाम स्वरूप यह सागर अपने उच्च घनत्व के लिए जाना जाता है. यही वजह है कि इस सागर में किसी भी इंसान का डूबना असंभव है. अपनी इन्हीं अद्भुत खूबियों के कारण हमेशा से ही सैलानियों के लिए यह आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. सैलानी इसके अद्भुत नज़ारों को देखने और इसकी खासियत से रूबरू होने जाते हैं. गजब की बात तो यह है कि इंसान तैरना भी नहीं जानता, वो भी इस सागर में आसानी से लेट कर पिकनिक मना सकता है. बताते चलें कि 2007 में इसका नाम विश्व के सात (7 न्यू वंडर्स इन द वर्ल्ड) अजूबों की लिस्ट के लिए चयनित किया गया था. वह तो इसके पक्ष में ज्यादा वोटिंग नहीं हुई. इस कारण वह दुनिया के सात अजूबों में शामिल नहीं हो सका.
जैसा कि इसके पानी में खनिज लवण जैसे ब्रोमाइड, मैग्नीशियम, कैल्शियम, सल्फर आदि अधिक मात्रा में पाए जाते हैं. इस कारण इसका पानी न तो पीने के लायक होता है और न ही इसमें पाया जाने वाला नमक प्रयोग के लायक होता है. इसका पानी इतना खारा होता है कि इसमें कोई भी मछली या अन्य जलीय जीव जिंदा नहीं रह सकता. जलीय पौधों का इसमें पनप पाना भी बहुत मुश्किल होता है. ऐसा माना जाता है कि इसमें कुछ प्रकार के बैक्टीरिया और शैवाल ही पाए जाते हैं, लेकिन जहां एक तरफ यह सागर किसी जलीय जीव या पेड़ पौधों के अनुकूल नहीं हैं. यही कारण है कि इसके आस-पास भी पेड़ पौधे नहीं दिखाई पड़ते और इसे ‘मृत सागर’ की संज्ञा दी जाती है. गौरतलब है कि प्राचीन ग्रीक लेखक ने इस सागर को ‘मृत सागर’ का नाम दिया था.
वहीँ दूसरी तरफ इसका पानी अपनी विशेष खूबियों की वजह से कईं बीमारियों को दूर करने और दवा बनाने के लिए उपयोगी है. इसमें पाए जाने वाले खनिज लवण इसके वातावरण के साथ घुलकर कई प्रकार के बीमारियों को ख़त्म करने में लाभदायक होता है. चौथी सदी से यह अपने कुछ खास लक्षणों की वजह से जाना जाता रहा है. ऐसी मान्यता है कि इसकी सतह से शिलाजीत निकालकर मिस्र देशों में बेचा जाता था. वैज्ञानिकों की माने तो इस सागर में ब्रोमिन के अधिक मात्रा में पाए जाने के कारण हमारी धमनियों के लिए लाभदायक होता है. इसी के साथ ही इसमें मैग्नीशियम की प्रचुर मात्रा में पाए जाने के कारण त्वचा और साँस सम्बंधित बीमारियों का इलाज संभव है. मृत सागर साँस और त्वचा जैसी कई अन्य बीमारियों के इलाज के रूप में बहुत मशहूर है. इसके चिकित्सीय गुणों की वजह से यहां सैलानियों के लिए बेहतर सुविधा का प्रबंध किया जाता है, जहां कई होटल शॉपिंग सेंटर आदि भी बनाए गए हैं. इसके पश्चिमी तट के किनारे पर्यटकों के लिए स्वस्थ केंद्र भी खोले गए हैं. इसके किनारे की काली मिट्टी चेहरे को निखारने के लिए बहुत उपयोगी होती है. इसे लोग अपने चेहरे पर लगाते हैं. यह कितनी खास होती है, इसको इसी से समझा जा सकता है कि कुछ सौन्दर्य कंपनियां भी यहाँ की मिट्टी का प्रयोग अपने सौन्दर्य प्रोडक्ट को बनाने में करती हैं.
दुनिया भर में मशहूर यह सागर पानी की कमी की वजह से सिकुड़ रहा है. इसमें मुख्यत: जार्डन नदी और अन्य छोटी नदी का पानी आकर गिरता है. गौरतलब हो कि जार्डन नदी सीरिया और लेबनान के रास्ते से गुजरती है. दूसरा इसके आपसी मतभेद का भी इस सागर पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है. ऐसा भी बताया जाता है कि अब इजराइल ने जार्डन नदी का पानी अपनी दक्षिण इलाकों की आबादी के लिए इस्तेमाल करने लगा है. इस कारण इस मीठे और खारे पानी का मिलन पर गहरा प्रभाव पड़ता है. लिहाज़ा मृत सागर धीरे-धीरे अपनी मौत की कगार पर पहुँच रहा है. हालांकि, इसके ऊपर मंडराने वाले खतरे को भांपते हुए दुनिया भर के पर्यावरण संरक्षक एक साथ आ रहे हैं. वही दूसरी तरफ इसके चाहने वालों के लिए भी गम का माहौल बना हुआ है, जिसको बचाने के लिए सैलानी कई तरह से प्रदर्शन भी कर चुके हैं. 2016 में दुनिया के लगभग 25 तैराकों ने जार्डन से 17 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए , इजराइल पहुंच कर एक मृत सागर को बचाने का एक संदेश दिया. वहीं एक रिपोर्ट के मुताबिक लगभग 100 सैलानियों ने मिलकर नग्न अवस्था में ही इस सागर में उतरे. इसमें पुरुष और महिला दोनों ने शामिल होकर अपना फोटो शूट कराया था.