Home जानिए अंधा कहकर चिढ़ाते थे लोग, ऑडियो सुनकर की पढ़ाई और बने IAS

अंधा कहकर चिढ़ाते थे लोग, ऑडियो सुनकर की पढ़ाई और बने IAS




IMG-20240704-WA0019
IMG-20220701-WA0004
WhatsApp-Image-2022-08-01-at-12.15.40-PM
1658178730682
WhatsApp-Image-2024-08-18-at-1.51.50-PM
WhatsApp-Image-2024-08-18-at-1.51.48-PM

दुनिया में ज्यादातर दिव्यांग लोगों का हर पल मजाक बनाया जाता है, लोग उन्हें उनकी स्थिति या शरीर की कमियों को देखकर जोकर समझते हैं। ऐसे ही एक नेत्रहीन IAS ऑफिसर हैं, जिन्हें लोग जोकर समझते थे। ‘भारत की कुल आबादी के 2 प्रतिशत लोग दिव्यांग है।

ये दिव्यांग ऐसे हैं जो हर पल अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं और हर दिन जीत हासिल भी कर रहे हैं। ऐसे ही एक IAS हैं Kempahonnaiah….इनका जन्म कर्नाटक में हुआ था। ये आज उन लोगों के लिए मिसाल हैं जो खुद को कमजोर समझते हैं।

सिविल सर्विस की परीक्षा में 340वी रैंक मिली थी। ये 2017 बैच के IAS ऑफिसर हैं। ये देख नहीं सकते हैं, लेकिन फिर भी इस मुकाम पर हैं। इस एग्जाम को पास करने के लिए इनकी पत्नी ने भी इनका बहुत साथ दिया था।

नेत्रहीन होने के कारण वह आसानी से पढा़ई नहीं कर सकते थे इसलिए उनकी पत्नी ने उनके लिए ऑडियो नोट्स बनाये जिससे वह सुन-सुनकर पढ़े सके। जैसा पत्नी ने सोचा था ठीक वैसा ही हुआ। ऑडियो सुन-सुनकर इन्होंने पढ़ाई की और इस मुकाम पर पहुंच गए कि IAS बन गए।

उन्होंने कहा कि दिव्यांग कम्युनिटी से जुडे़ होने पर मुझे बहुत गर्व है। मैं बहुत खुश हूं कि मैं इस कम्युनिटी का हिस्सा हूं। मैंने हमेशा यह माना है कि ‘हैंडीकैप’ शब्द दो पोजिटिव शब्दों से बना है। इसमें वर्ड हैंडी और कैप एक दूसरे का हमेशा साथ देते हैं। किसी इंसान के लिए कैप एक तरह से धूप से बचाने के लिए एक छांव की तरह काम करता है। ‘मैंने 3rd क्लास में अपनी आंखों की रोशनी खो दी थी। एक गर्वमेंट ब्लाइंड स्कूल से पढा़ई की। मैंने अपने पूरे जीवन में सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में ही पढाई की है।

उनके बड़े भाई सी एच नानजप्पा भी दिव्यांग हैं। उन्होंने कहा पोस्टिंग होने से पहले कहा था कि मैं हर हाल में विकलांगों की मदद करूंगा। उन्हें हर तरह की सुविधाएं दूंगा। उन्होंने बताया जब मैं पढा़ई कर रहा था तो देख न पाने के कारण मैं कभी भी कपडे़ परफेक्ट तरीके से नहीं पहन पाता था, न ही अपने काम को सही तरह से कर सकता था। यह सब देखकर लोग मेरा मजाक बनाया करते थे और मुझे एक जोकर भी समझते थे। मैं दिव्यांगों की स्थिति को ठीक करने की कोशिश हमेशा करता रहूंगा। मैं नहीं चाहता जिस स्थिति से मैं गुजरा हूं उस स्थिति का सामना कोई और भी करे।