Home क्षेत्रीय खबरें / अन्य खबरें मुंबई में पेड़ों की कटाई पर तो रोक लगी, लेकिन बुलेट ट्रेन...

मुंबई में पेड़ों की कटाई पर तो रोक लगी, लेकिन बुलेट ट्रेन रूट पर कट रहे हजारों पेड़ों पर क्यों है चुप्पी?




IMG-20240704-WA0019
IMG-20220701-WA0004
WhatsApp-Image-2022-08-01-at-12.15.40-PM
1658178730682
WhatsApp-Image-2024-08-18-at-1.51.50-PM
WhatsApp-Image-2024-08-18-at-1.51.48-PM

मुंबई की आरे कॉलोनी में पेड़ों की कटाई पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी। साथ ही कहा कि पेड़ों की कटाई का विरोध करने वाले सभी प्रदर्शनकारियों को तत्काल रिहा किया जाए। इस मामले की अगली सुनवाई अब 21 अक्टूबर को होगी, तब तक यथास्थिति बनाए रखे जाने का आदेश दिया गया है। किंतु, आरे में करीब 2,700 पेड़ों की कटाई से पहले मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन के रूट के लिए भी हजारों पेड़ काटे गए थे, तब रोक नहीं लग पाई थी। अभी भी महाराष्ट्र-गुजरात दोनों राज्यों में हजारों पेड़ों की बलि चढ़ेगी। नेशनल हाईस्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) का कहना है कि वे करीब 25 हजार पेड़ों को ट्रांसप्लांट करेंगे। जबकि, बुलेट ट्रेन के रूट पर आने वाले कम से कम 60 हजार पेड़ों को हटाया जाना है। इन पेड़ों की कटाई का पुरजोर विरोध नहीं हो सका है।

पढ़ें: बुलेट ट्रेन के रूट पर आने वाले हजारों पेड़ कटेंगे, NHSRCL बोला- हम 1 के बदले 10 पौधे लगवा देंगे

एमएमआरसी-एमसीजीएम से ज्यादा एनएचएसआरसीएल कटवा रहा पेड़
बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए मैंग्रोव वन की भी बलि चढ़ सकती है, क्योंकि हाईकोर्ट ने नेशनल हाईस्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) को नहीं रोका है। एनएचएसआरसीएल ने कहा है कि एक पेड़ के बजाए वे 10 पेड़ लगवाएंगे। जबकि, देखा जाए तो नियमों का ठीक से पालन नहीं हो रहा है। अहमदाबाद मेट्रो रेल प्रोजेक्ट के लिए भी ह​जारों पेडों को काट दिया गया था। दोनों परियोजनाओं के लिए पुन: वृक्षारोपण परवान नहीं चढ़ा है। उल्टे बुलेट ट्रेन के लिए हजारों पेड़ों को काटने की अनुमति भी दी गई।

अवैध कालोनियां ऐसे प्रोजेक्ट की भेंट नहीं चढ़तीं?
बुलेट ट्रेन के लिए मुंबई एवं महाराष्ट्र के अन्य हिस्सों में 20,000 से अधिक मैंग्रोव वृक्षों वाले वन का भी नाश होने की आशंका है। कई पर्यावरणविदों का कहना है कि शहरों में बसीं अवैध कालोनियां ऐसे प्रोजेक्ट की भेंट नहीं चढ़तीं, मगर पेड़ों की कटाई से प्रकृति को नुकसान बड़ी तेजी से ​कर दिया जाता है।

अहमदाबाद मेट्रो रेल के लिए 2200 पर्णपाती पेड़ कटे
बुलेट ट्रेन और मुंबई मेट्रो की परियोजनाओं में पर्यावरणविदों के विरोध को दबाने की कोशिश हो रही हैं। बुलेट ट्रेन के अलावा अहमदाबाद मेट्रो रेल के लिए भी लगभग 2200 पर्णपाती पेड़ काटे जा चुके हैं। मेट्रो रेल के दूसरे चरण में, गांधीनगर में 3000 से अधिक पेड़ हैं, जिन्हें काटने की अब अनुमति दी जाएगी।

गुजरात-महाराष्ट्र में बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए 80437 वृक्ष निशाने पर
सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत आंदोलन कार्यकर्ताओं द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार, बुलेट ट्रेन के लिये गुजरात और महाराष्ट्र दोनों राज्यों में कुल 80,437 फल एवं अन्य तरह के पेड़ों को एक साथ साफ किया जा रहा है। सबसे ज्यादा पेडों को काटने की अनुमति गुजरात में मिली। इससे पहले बीएमसी ने मुंबई मेट्रो कारशेड के निर्माण के लिए 2700 से अधिक पेड़ों को हटाने के लिए कहा था। काफी पेड़ काट दिए गए, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट का ने तात्कालिक रोक लगाई।

बुलेट ट्रेन के रूट के लिए किस इलाके में कितने पेड़ काटे जाएंगे
बुलेट ट्रेन के लिये दक्षिण गुजरात के वलसाड में 12,248 पेड़ को मिटा दिया जाएगा। महाराष्ट्र के पालघर में लगभग 17,748 मैंग्रोव वृक्षों का उन्मूलन किया जाना है। जबकि, अहमदाबाद से मुंबई के 505 किलोमीटर के रूट पर लगभग 26,980 फलों के पेड़ों का भी उन्मूलन होना है। बुलेट ट्रेन के ट्रैक के लिए कुल 1691.20 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है।

अहमदाबाद में कटे पेड़ों की जगह कितने पेड़ लगे, नहीं बताया
मुंबई मेट्रो से पहले अहमदाबाद मेट्रो के लिये काटे गए पेडों की जगह कितने नए पेड़ लगाए गए, अथॉरिटी की ओर से इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई। इसी तरह, मुंबई मेट्रो के लिए कितने पेड़ लगाए जाएंगे, इसकी भी कोई जानकारी नहीं है। कड़वा सच यही है कि सरकारी अधिकारी पेड़ों को हटाने के बारे में कुछ भी कहने के लिए तैयार नहीं हैं।

पंचामृत भवन का भारी विरोध हुआ तो सरकार को पीछे हटना पड़ा
गांधीनगर में नरेंद्र मोदी ने पंचामृत भवन बनाने का फैसला किया था। हालांकि, इस भवन बनने से पहले वह मुख्यमंत्री से प्रधानमंत्री बन गए। बाद में आनंदीबेन पटेल की सरकार ने पंचामृत भवन का काम जारी रखा, लेकिन गांधीनगर के पर्यावरणविदों के विरोध का सामना करना पड़ा। उस जगह पर 20,000 से अधिक पेड़ थे, जहां पंचामृत भवन बनाया जाना था। विरोध के चलते ही गुजरात में मौजूदा रुपाणी सरकार भवन-निर्माण पर कोई फैसला नहीं ले पाई है। सचिवालय से जुड़े सूत्रों ने कहा कि सरकार अब पंचामृत भवन बनाने के लिये जगह को बदल सकती है। फिर ऐसी जगह चुनी जाएगी, जहां कम से कम पेड़ कटें। यदि, इसी तरह पुरजोर विरोध हो तो बड़े पैमाने पर होने वाली वृक्षों की कटाई रोकी जा सकती है।