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चायनीज दीये को मात देंगे ये छत्तीसगढ़ के दिए, माटीकला बोर्ड ने बनाए सस्ते स्टाइलिश दीये




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गणेश चर्तुथी के साथ ही त्योहारी सीजन शुरू हो गया है। एक तरफ जहां बर्तन, कपड़े, मिठाइयों की दुकानें सज गई हैं, वहीं दीपावली पर्व में खास मायने रखने वाले दीये का भी बाजार गुलजार हो गया है। चाइनीज दीये के बढ़ रहे कारोबार को रोकने के लिए माटीकला बोर्ड ने कमर कस ली है। इसे टक्कर देने के लिए एक हफ्ते पहले से बोर्ड ने कई डिजाइन के दीये तैयार किये हैं। बोर्ड योजना विभाग के प्रबंधक अधिकारी गौतम देवांगन ने बताया कि बोर्ड में तैयार होने वाली सामग्रियों में बदलाव किया गया है। प्रमुख रूप से किचन के बर्तन के साथ त्योहारी सीजन व पूजा पाठ में लगने वाले मिट्टी के दीये बनाए जा रहे हैं।

केंद्र गढ़फुलझर में लगभग 30 हजार रंग-बिरंगी दीये तैयार किये गये हैं, जो दो दिन में पककर तैयार हो जाएंगे। पिछले वर्ष की तुलना में स्वास्तिक, पान, वॉल, चकरी आदि डिजाइन के नए दीये बनाए गए हैं। इनकी कीमत भी चाइनीज सामग्रियों के अपेक्षा बहुत कम है।

महिलाएं भी तैयार कर रहीं दीये कृषि विवि के औषधी विभाग में भी त्योहार को लेकर सुगंधित साबुन, अगरबत्ती, दीया, लरी, मोम के दीये तैयार किए जा रहे हैं। इसमें खास बात यह है कि विवि ने स्व सहायता समूह की कई महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए विभाग के माध्यम से उन्हें प्रशिक्षण दिया है।

विवि के जनसंपर्क अधिकारी संजय नैयर कहना है कि मिट्टी के दीपक के साथ रूम फ्रेशनर भी तैयार किया गया है। इसकी मांग काफी है। यह रोशनी के साथ खुशनुमा माहौल भी तैयार करता है।

अन्य राज्यों में पहुंच रही कला

जिले में माटीकला और इससे जुड़े व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए बोर्ड के माध्यम से महासमुंद ग्लेजिंग प्रोजेक्ट लगाया गया है। शिल्पकार मेहनत कर नए डिजाइन तैयार करने में जुटे हैं। उनके हाथों की कला अन्य राज्यों में भी पहुंचने लगी है। कुम्भकारों की पर्याप्त संख्या है, लेकिन उन्हें बड़ा मंच देने की आवश्यकता है।

यहां मिलेंगे दीये

– पंडरी स्थित हाट-बाजार

– मॉरीन ड्राइव चौक

– सदरबाजार

– 1 रुपये से लेकर 5 रुपये प्रति नग दीया