वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को गुरुवार को मुंबई में घोटाले का शिकार पीएमसी बैंक के गुस्साए खाताधारकों का कोपभाजन बनना पड़ा। सीतारमण मुंबई बीजेपी दफ्तर में प्रेस कांफ्रेंस करने पहुंची थी, जहां आए खाताधारकों ने उनके खिलाफ नारेबाजी की और उनके पैसे वापस लौटाने की मांग उठाई।
पीएमसी बैंक के खाताधारक बीजेपी दफ्तर के बाहर बड़ी संख्या में जमा हो गए थे। नारेबाजी और हंगामे के बाद वित्त मंत्री ने कुछ खाताधारकों को बातचीत के लिए अंदर बुलाया। बाद में उन्होंने कहा कि, “मैंने खाताधारकों की समस्या सुनी और उन्हें बताया कि बहुराज्यीय सहकारी बैंक आरबीआई के नियंत्रण में होते हैं और इसमें सरकार की भूमिका बहुत सीमित होती है।” लेकिन उन्होंने आश्वासन दिया कि वे इस बारे में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांता दास से बात करेंगी और खाताधारकों की समस्या उनके सामने रखेंगी।
जब सीतारमण से पूछा गया कि क्या खाताधारकों को उनका पैसा वापस मिलेगा तो उनका जवाब था कि यह प्रक्रिया का मामला है जो आरबीआई और रिजर्व बैंक द्वारा पीएमसी बैंक के लिए नियुक्त प्रशासक ही तय करेंगे।
बाद हरबंस सिंह नाम के एक खाताधारक ने बताया कि वित्त मंत्री को कम से कम यह आश्वासन तो देना चाहिए था कि उनका पैसा सुरक्षित है, लेकिन उन्होंने निराश किया। हरबंस सिंह ने बताया, “बैंक के 16 लाख से ज्यादा खाताधारक परेशान हैं। इसमें हमारी क्या गलती है? आपके पास 4000 करोड़ की संपत्तियां हैं, इन्हें बेचकर आप हमारा पैसा लौटाओ और आरोपियों के खिलाफ जो चाहे कार्रवाई करो।”
गौरतलब बै कि पीएमसी बैंक में करीब 4500 करोड़ का घोटाला सामने आया है जिसके बाद आरबीआई ने बैंक से पैसे निकालने पर रोक लगा दी है। इस पूरे मामले पर सीतारमण ने कहा कि पीएमसी बैंक के सिलसिले में आर्थिक मामलों के सचिव, वित्तीय सेवाओं के सचिव, ग्रामीण मामलों के सचिव और शहरी विकास मामलों के सचिव के अलावा आरबीआई के डिप्टी गवर्नर को शामिल कर एक कमेटी बनाई जाएगी।
उन्होंने बताया कि यह कमेटी जरूरी समाधान सुझाएगी ताकि आने वाले दिनों में किसी और बैंक में ऐसा घोटाला न होने पाए। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ी तो इस बारे में कानून भी बनाया जाएगा।