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छत्तीसगढ़ : रात के अंधेरे में बिना सुरक्षा भोजन के लिए 1.5 KM पैदल चली बालिका खिलाड़ी




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 राज्य स्तरीय शालेय क्रीड़ा प्रतियोगिता पर विवादों का साया मंडराने लगा है। आयोजन से पहले जिला प्रशासन ने इसकी तैयारी को लेकर लंबे चौड़े दावे किए थे। लेकिन इन दावों की पोल,उदघाटन के पहले ही खुल गई। उदघाटन समारोह में शामिल होने के लिए रायपुर जोन के खिलाडिय़ों को तीन किलोमीटर दूर बघिमा में स्थित संत पौल स्कूल से ऑटो में धक्के खाते हुए आयोजन स्थल तक आना पड़ा,वहीं बालिका वर्ग की खिलाड़ियों को भोजन के लिए रात के अंधेरे में ठंड से ठिठुरते हुए डेढ़ से दो किलोमीटर तक की पदयात्रा करनी पड़ी।

इस राज्य स्तरीय शालेय क्रीड़ा प्रतियोगिता में प्रदेश के 12 खेल जोन के स्कूल स्तरीय किशोर व युवा खिलाड़ी शामिल हो रहे हैं। प्रदेश के सभी जिलों से खिलाड़ी यहां पहुंचे हुए हैं। इन खिलाड़ियों के आवास,चिकित्सा,परिवहन व सुरक्षा की जिम्मेदारी जिला प्रशासन पर है।

इस प्रतिष्ठित आयोजन को सपᆬलता पूर्व संपन्न कराने के लिए दो बार बैठक का आयोजन किया गया था। इस बैठक में अधिकारियों ने इन सारी व्यवस्थाओं पर बिंदुवार चर्चा करते हुए,इसके लिए अलग-अलग जिम्मेदारी भी तय करते हुए,पुख्ता इंतजाम के दावे किए गए थे। लेकिन आयोजन के पहले ही दिन,अधिकारियों का यह दावा पूरी तरह से ध्वस्त होता नजर आया।

प्रतियोगिता के आयोजन के उद्घाटन के पहले ही खिलाड़ियों को आवास स्थल से मैदान तक पहुंचने के लिए तिपहिया ऑटो का सहारा लेना पड़ा। इन खिलाड़ियों ने बताया कि वे बस के पहुंचने का इंतजार कर रहे थे,लेकिन बस के ना पहुंचने पर वे ऑटो लेकर यहां तक आए हैं।

दरअसल, खिलाड़ियों के आवास के लिए जिला प्रशासन ने अलग-अलग स्थानों पर व्यवस्था कर रखा है। इनमें सबसे दूर आयोजन स्थल से तीन किलोमीटर की दूरी पर बघिका का संतपाल स्कूल और ग्राम पंचायत सारूडीह का छात्रावास शामिल है।

इसके अतिरिक्त सती उद्यान पार्क का वशिष्ठ कम्युनिटी हॉल,सन्ना रोड में स्थित बालक छात्रावास,सरस्वती शिशु मंदिर के भवन में भी इन खिलाड़ियों के लिए आवास की व्यवस्था की की गई है। इन आवासिय स्थलों से खिलाड़ियों को लेकर मैदान तक लाने और वापस ले जाने के लिए बसों की व्यवस्था करने का दावा किया गया था। लेकिन पहले ही दिन यह व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई।

शांतिभवन,सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल भवन जैसे आयोजन स्थल के समीप स्थित आवासिय स्थल से बघिमा तक इन खिलाड़ियों को पदयात्रा कर मैदान तक पहुंचना पड़ा।

भोजन के लिए रात के अंधेरे में पदयात्रा करते रहे खिलाड़ी

इस राज्य स्तरीय आयोजन के पहले ही दिन बदहाल व्यवस्था से जुझते हुए इन युवा खिलाड़ियों ने अपनी-अपनी टीम को जीत दिलाने के लिए दम लगाया। दिन भर पसीना बहाने के बाद रात को भी इन खिलाड़ियों को पेट भरने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ी।

दरअसल, व्यवस्थापकों ने सरस्वती शिशु मंदिर में निवासरत खिलाड़ियों के लिए भोजन की व्यवस्था सन्ना रोड स्थित बालक छात्रावास और नगरपालिका के सामने स्थित बुनियादी शाला में किया था। लेकिन इन बच्चों को भोजन स्थल तक पहुंचाने और वापस लाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई थी।

मजबूरी में इन खिलाड़ियों को रात के अंधेरे में ठंड से ठिठुरते हुए डेढ़ से दो किलोमीटर की पदयात्रा करनी पड़ी। इस दौरान इन खिलाड़ियों के साथ कोई जिम्मेदार अधिकारी भी नजर नहीं आया। जबकि भोजन के लिए दौड़ लगाने वाले इन खिलाड़ियों में बालिकाएं भी शामिल थी। बालिका खिलाड़ियों की सुरक्षा के साथ हो रहे इस खिलवाड़ को देख कर नगरवासी भी हैरान नजर आए।

”बालिका खिलाड़ियों के लिए आवास व्यवस्था करने में थोड़ी परेशानी हुई थी। इन खिलाड़ियों के लिए मेस की व्यवस्था बालक छात्रावास में किया गया था। इस वजह से इन्हें पैदल दूरी तय करनी पड़ी। अब इनके लिए बस की व्यवस्था कर दी गई है। पैदल जा रही बालिका खिलाड़ियों को बिना जिम्मेदार अधिकारियों के भेजा जाना गलत है। इसके लिए संबंधित जोनल अधिकारी की जिम्मेदारी बनती है।” – एन कुजूर,डीईओ,जशपुर