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छत्तीसगढ़ : रेत के घाटों पर शराब के ठेकेदारों का कब्जा




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रेत के खेल में शराब लॉबी ने सभी दावेदारों को पीछे छोड़ दिया है। जिले के सभी 18 घाटों पर इनका कब्जा हो गया है। जिला प्रशासन ने दो अलग-अलग चरण में रेत घाटों की नीलामी की। बुधवार को दूसरे चरण के चार समूहों में आने वाली छह रेत खदानों की नीलामी प्रक्रिया पूरी कर ली है। तस्वीर अब पूरी तरह साफ हो गई है। जिले की सभी खदानों पर लॉबी ने कब्जा जमा लिया है।

राज्य शासन ने खदानों को नीलाम करने के पहले जोरशोर से दावा किया था कि रेत घाट के संचालन के लिए मूल छत्तीसगढ़ियों को खदान दी जाएगी। ठेके के बाद जो तस्वीर उभरकर सामने आई है इससे साफ हो गया है कि छत्तीसगढ़ियों को रिझाने और विवाद की स्थिति पैदा न हो इसके चलते आश्वासन का झुनझुना थमाया गया था। जिले के सभी घाटों पर अब शराब लॉबी के लोग नजर आएंगे। राज्य शासन ने जब से शराब दुकानों को अपने कब्जे में लिया है तभी से ही शराब ठेकेदार के पंडे बेरोजगार हो गए थे।

शराब दुकानों के हाथ से जाने के बाद लॉबी ने रेत के खेल में भाग्य आजमाने की ठानी और भीतर ही भीतर शराब दुकानों की ठेके की तर्ज पर समूह बनाकर जिले के रेत घाटों का हथियाने की चाल चली। इसमें वे काफी हद तक सफल ही रहे। शराब दुकानों को हथियाने जिस तरह अपने लोगों से दर्जनों की संख्या में एक दुकान के लिए निविदा फार्म जमा कराते थे ठीक उसी तर्ज पर जिले के 18 रेत घाटों के लिए सैकड़ों की संख्या में निविदा फार्म जमा कराए।

इनके मुकाबले अन्य लोगों ने एक या फिर दो रेत घाटों के लिए निविदा फार्म जमा किया। अचरज की बात ये कि रेत घाटों के संचालन के लिए जो ठेकेदार सामने नजर आ रहे हैं इनमें कुछ को छोड़कर मूल छत्तीसगढ़िया नजर नहीं आ रहे हैं। छत्तीसगढ़िया एक तरह से गायब ही हो गए हैं और यूपी बिहार जैसी लॉबी ने घाटों पर कब्जा जमा लिया है। रेत घाट हथियाने जिस तरह लॉबी ने निविदा फार्म जमा कराया था इसकी भनक जिला प्रशासन को भी लग चुकी थी ।

कांग्रेसी नेताओं के टेंडर निरस्त

प्रथम चरण में निविदा फार्म खोलने के बाद जब स्क्रूटनी की कार्रवाई प्रारंभ हुई तो बड़ी संख्या में कांग्रेसी नेताओं के फार्म निरस्त कर दिए गए थे । इसे लेकर एक बार विवाद की स्थिति भी बनी थी । कुछ देर के लिए कलेक्टोरेट कैम्पस में गहमा गहमी का माहौल भी बना । तकनीकी कारणों से फार्म रद होने से दिग्गज कांग्रेसी नेता ठेके की प्रक्रिया से एक झटके में बाहर हो गए ।

18 घाटों के लिए प्रशासन ने बनाया नौ समूह

जिले के 18 रेत घाटों से रेत उत्खनन के लिए ठेके पर देने जिला प्रशासन ने नौ समूह बनाया है। ए से लेकर आई तक समूह बनाकर किसी समूह में एक तो किसी में दो घाटों को शामिल किया है। सबसे ज्यादा छह रेत घाट मस्तूरी ब्लॉक में हैं। इन घाटों को ठेके पर देने के लिए तीन समूह बनाए हैं। प्रत्येक समूह में दो-दो घाटों को रखा गया है।

दूसरे चरण के सभी घाट लॉबी के हवाले

बुधवार को कलेक्टर की मौजूदगी में मंथन सभाकक्ष में चार समूहों के छह रेत घाट की नीलामी प्रक्रिया प्रारंभ हुई । पहले चरण की तर्ज पर सभी घाट शराब लॉबी के हवाले हो गया है। समूह एक का ठेका जांजगीर-चांपा निवासी मनोज कुमार पांडेय,समूह बी का ठेका कागज निगम सरकंडा बिलासपुर, समूह जे सिरगिट्टी व बिलासपुर समूह का ठेका संजीव मंडल के नाम गया है।

33 निविदा फार्म रिजेक्ट

चार समूहों के लिए 843 निविदा डाली गई थी। इसमें से 33 फार्म तकनीकी कारणों से रद कर दिया । 674 निविदा फार्म को सही पाते हुए खोला गया । 45 रुपये प्रति घनमीटर के हिसाब से रेत खदानों का ठेका जिला प्रशासन ने दिया है।