Home छत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़ : खतरे में प्रदेश का राजकीय पशु, बचाने के लिए असम...

छत्तीसगढ़ : खतरे में प्रदेश का राजकीय पशु, बचाने के लिए असम से लाएंगे मादा वनभैंसा




IMG-20240704-WA0019
IMG-20220701-WA0004
WhatsApp-Image-2022-08-01-at-12.15.40-PM
1658178730682
WhatsApp-Image-2024-08-18-at-1.51.50-PM
WhatsApp-Image-2024-08-18-at-1.51.48-PM

प्रदेश में राजकीय पशु वनभैंसा का कुनबा बढ़ाने के लिए असम के मानस नेशनल पार्क से पांच मादा वन भैंसे लाए जाएंगे। विभाग के अधिकारी के अनुसार राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने इसकी सहमति दे दी है। असम सरकार से अनुमति मिलने के बाद दिसंबर में वन भैंसा लाने की योजना बनाई जा रही है। वर्तमान में प्रदेश में मादा वन भैंसों की संख्या सिर्फ तीन है। ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ गठन के दौरान प्रदेश में वनभैंसों की संख्या करीब 80 थी, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के चलते तेजी से संख्या घटती गई। वर्ष 2005-06 में इनकी संख्या 12 पर आ गई थी और वर्तमान में मात्र 10 है। असम से लाए जाने वाले मादा वनभैंसों को बारनवापारा अभयारण्य में रखा जाएगा। इनके लिए वहां 10 एकड़ का बाड़ा तैयार किया गया है। इन्हें सड़क मार्ग से लाने की तैयारी है।

गर्मी में होगी दिक्कत

वन विभाग के सूत्रों का कहना है कि असम में गर्मी के दिनों में अधिकतम तापमान 37 डिग्री सेल्सियस रहता है, जबकि छत्तीसगढ़ का तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। ऐसे में आठ डिग्री ज्यादा तापमान में वनभैंसों को दिक्कत हो सकती है। असम की घास गीली मिट्टी युक्त रहती है, गर्मी के दिनों में छत्तीसगढ़ में घास सूख जाती है। इस स्थिति में असम से लाए जाने वाले वनभैंसों के लिए भोजन की व्यवस्था करना बड़ी चुनौती होगी।

प्रदेश में वनभैंसों की संख्या बढ़ाने के लिए असम के मानस नेशनल पार्क से पांच मादा वनभैंसा लाने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए सरकार तथा एनटीसीए से अनुमति मिल गई है, जल्द ही लाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। – अतुल शुक्ला, पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ