जब धरती पर डायनोसोर का राज था उस दौरान बड़े-बड़े जीव-जंतुओं की भरमार थी. समंदर में विशालकाय शार्क, ज़मीन पर भारी-भरकम डायनोसोर और आसमान में अविश्वसनीय आकार के पक्षियों से ये पृथ्वी गुलज़ार थी. मनुष्यों के बारे में तो कल्पना भी छोड़ दीजिए. उस वक़्त बंदरों का भी जन्म नहीं हुआ था. हम बात कर रहे हैं 12 करोड़ साल पहले की.
उसी दौर में आसमान नापने वाला एक पक्षी हुआ करता था, जिसे वैज्ञानिक भाषा में फिर फुकुपैट्रेक्स प्राइमा के नाम से जाना जाना जाता है. आपमें से कुछ लोगों ने आर्कियोपैट्रेक्स का नाम शायद सुन रखा हो. ये हवा में उड़ने वाला एक डायनोसोर था जो भारी भरकम पंख और विशाल पूंछ के सहारे हवाओं में भी उड़ा करता था. आर्कियोपैट्रेक्स ने वैज्ञानिकों को पक्षियों के विकास को समझने में काफी मदद पहुंचाई. ये जुरासिक काल में 16 से 14 करोड़ साल पहले धरती पर पाया जाता था. माना जाता है कि पृथ्वी पर मौजूद ये सबसे प्राचीन पक्षी था.
इसके बाद फुकुपैट्रेक्स को पृथ्वी के दूसरे सबसे प्राचीन पक्षी माना जाता है. इसी 12 करोड़ साल पुराने फुकुपैट्रेक्स का अवशेष जापान में बरामद हुआ है. जापान की फुकुई प्रिफेक्चुरल यूनिवर्सिटी के डायनोसोर रिसर्च इंस्टीट्यूट के पक्षी वैज्ञानिक तकुया इमाई ने इसे खोजने में क़ामयाबी पाई है. उनका दावा है कि ये डायनोसोर प्रजाति का ये पक्षी 12 करोड़ साल पहले पृथ्वी पर पाया जाता था.
वैज्ञानिकों का दावा है कि ये पक्षी ज़्यादा देर तक हवा में उड़ान नहीं भर पाता था. भारी-भरकम आकार और लंबी पूंछ इसे ज़्यादा समय तक हवा में उड़ने में बाधा पहुंचाती थी. जापान के कत्सुयामा इलाके में खोजकर्ताओं को इस पक्षी के अवशेष मिले. माना जाता है कि जहां पर फुकुपैट्रेक्स का जीवाश्म मिला वो “डायनोसोर का जाना-माना कब्र” है.
जीवाश्म को 3डी रूप में संरक्षित कर लिया गया है. बिखरी हड्डियों को जोड़ने में वैज्ञानिकों को काफी मशक्कत करनी पड़ी, लेकिन धरती पर जीव-जंतुओं की उत्पत्ति को समझने में मददगार इस ऐतिहासिक खोज को आख़िरकार वैज्ञानिकों ने कड़ी मेहनत से अंज़ाम तक पहुंचा ही दिया.
खोजकर्ता तकुया इमाई के मुताबिक़, “ये लंबी छलांग मारता था या फिर छोटी दूरी तक उड़ान भरता था. ये डायनोसोर उड़ने में बिल्कुल दक्ष नहीं था.” माना जाता है कि ये पक्षी गर्म जगहों पर रहना पसंद करता था. फुकुपैट्रेक्स प्राइमा इस प्रजाति की मिलने वाली अब तक का पहला पक्षी है. इस लिहाज़ से इस खोज को बड़ी क़ामयाबी माना जा रहा है. इससे पहले क्रेटासियस प्रजाति का पक्षी चीन में मिला था.