अमीरा ने स्कूल जाना बंद कर दिया था, क्योंकि उनकी मां की रोशनी चली गई थी. उनको ग्लौकोमा यानी काला मोतिया था. इसके बाद जब ये बात अमीरा के स्कूल वालों को पता चली, तो उन्होंने ऑपरेशन करवाया. इसके बाद उनकी हालत में थोड़ा सुधार हुआ.
पूरा मामला जानिए-
दैनिक भास्कर की खबर के मुताबिक, लड़की का नाम अमीरा है. इसके परिवार के कुछ लोग 15 साल पहले अफगानिस्तान के काबुल प्रांत में हुए बम धमाके में घायल हो गए थे. इससे घबराए अमीरा के परिवारवाले भारत आ गए थे. अमीरा के पापा का नाम अब्दुल मजीद है. वह गुरुग्राम के एक रेस्टोरेंट में बावर्ची का काम करने लगे. और तभी से ये परिवार शरणार्थी के रूप में यहां रह रहे हैं.
खैर. अमीरा की मां मेहरनिशां(42) को ग्लौकोमा यानि काला मोतिया था. इससे उनकी आंखों की रोशनी धीरे-धीरे कम हो गई थी. अब्दुल के रेस्टोरेंट चले जाने के बाद मेहरनिशां को संभालने वाला कोई नहीं होता था. इस वजह से अमीरा ने स्कूल जाना ही बंद कर दिया. अमीरा 6वीं क्साल की स्टूडेंट है.
20 दिन बीत गए थे, पर अमीरा स्कूल नहीं गई और न ही स्कूल में इस बात की जानकारी दी. फिर खुद स्कूलवालों ने अमीरा के घरवालों से कॉन्टैक्ट किया. और पता चला कि मां के आंख की रोशनी चले जाने के कारण अमीरा ने स्कूल बंद किया है. स्कूल मैनेजमेंट ने एक संस्था से सम्पर्क किया. और मेहरनिशां का सरकारी अस्पताल में ऑपरेशन करवाया. इससे उनको काफी मदद मिली है.
अमीरा अब स्कूल जा सकेंगी, क्योंकि उनकी मां अब पहले से बेहतर हो गई हैं. और ऐसा बहुत कम देखने-सुनने को मिलता है कि स्कूल अपन स्टूडेंट्स का ऐसा ख्याल भी रखता है. अमीरा की कहानी आपको भावुक जरूर कर देगी, पर आपको एक सीख भी जरूर देगी.