सरकार की तरफ से स्वास्थ्य को खतरे के आधार पर इलेक्ट्रानिक सिगरेट को प्रतिबंधित किए जाने के बाद अब सामाजिक संगठनों में धूम्रपान के पारंपरिक तरीकों को भी रोकने की आस जगी है। दो एनजीओ ने पारंपरिक सिगरेट और अन्य तमाम कैंसरजनित तंबाकू उत्पादों को भी प्रतिबंधित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाने की तैयारी कर ली है। इन एनजीओ का कहना है कि ये उत्पाद ई-सिगरेट से भी ज्यादा खतरनाक हैं। दिल्ली के एनजीओ ऊर्जा (यूनाइटेड रेजिडेंट्स ज्वाइंट एक्शन) और हैदराबाद के सामाजिक संगठन वचांगयू फिलहाल जनहित याचिका और एक वर्गीकृत मुकदमा दाखिल करने की तैयारी कर रहे हैं, जिसमें वे धूम्रपान के कारण होने वाले बीमारियों के चिकित्सा खर्च के तौर पर 5 लाख रुपये और इसके चलते अपने कमाऊ सदस्य को खो देने वाले लोगों के लिए 10 लाख रुपये का मुआवजा दिए जाने की मांग भी शामिल कर रहे हैं।