अब सरकार ने पहली बार नोटबंदी के फायदों के बारे में बड़ा विस्तृत जवाब दिया है.
लोकसभा में सरकार ने कहा कि नोटबंदी का जो उद्देश्य था वह नकली नोटों को की समस्या से निपटना, आतंकी फंडिंग को रोकना और नक्सलवाद फंडिंग को रोकना, नॉन फॉर्मल इकोनॉमी को फॉर्मल बनाना और टैक्स बेस बढ़ाना एंप्लॉयमेंट बढ़ाना और कम कैश वाले डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा देना था. सरकार ने जो जवाब दिया है उसका निचोड़ ये निकलता है कि सरकार इन सारे मकसद में कामयाब हुई है.
लोकसभा में वित्त राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा-जिस हिसाब से इकोनामी में नोट सरकुलेशन में चल रहे थे उसे वैल्यू में देखें तो नोटबंदी की वजह से 2934.80 अरब रुपए के नोट सरकुलेशन में कम आए है. इस तरह ये फॉर्मल इकोनॉमी की तरफ आए हैं.
फायदा ऐसे हुआ कि 4 नवंबर 2016 को 17741.87 अरब रुपए सरकुलेशन में थे जबकि 25 नवंबर 2019 को 22420.13 अरब रुपए सरकुलेशन में थे.
वहीं, अक्टूबर 2014 से अक्टूबर 2016 तक 14.51% की दर से नोटों का सर्कुलेशन बढ़ रहा था, इस हिसाब से 25 नवंबर 2019 तक इसे 25,354.93 अरब रुपए हो जाना था लेकिन यह 22,420.13 अरब रुपए ही हुए, यानी 2934.80 अरब रुपए का का सरकुलेशन कम हो गया, इसका मतलब यह फॉर्मल इकोनामी का हिस्सा बन गए.
वही 2016 -17 से मौजूदा चल रहे साल तक 16 लाख से भी ज्यादा नकली नोट पकड़ में आए.सरकार का मानना है कि जिन इलाकों में हिंसा हो रही थी उन इलाकों में नोटबंदी काफी सकारात्मक प्रभाव देखने को मिला है.
अवैध रूप से रखी गई नकदी आतंकवादियों की फंडिंग का मुख्य हिस्सा होता है, नोटबंदी की वजह से आतंकवादियों के पास पड़ी हुई नकदी बेकार हो गई.
नवंबर 2016 से मार्च 2017 के बीच इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने 900 ग्रुप कंपनियों की तलाशी ली, जब्ती भी की जिसमें 7961 करोड़ रुपए की अघोषित आय का पता लगा और 900 करोड रुपए की जब्ती भी हुई.
वही नोटबंदी के दौरान कई लोगों ने बड़ी मात्रा में नकदी जमा की उस आधार पर उन व्यक्तियों की पहचान करके उन्हें नोटिस जारी किए गए और उनसे जवाब मांगे गए, जिनके जवाब संतुष्टिपूर्वक नहीं पाए गए उन पर कार्रवाई भी हुई और रिटर्न भी दाखिल करवाए गए. इस तरह रिटर्न भरने वालों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई.
सरकार के मुताबिक, नोटबंदी की वजह से ऑर्गेनाइज्ड सेक्टर में जॉब भी बड़े हैं 2014-15 से 2017-18 में 14.69 लाख नये वर्कर ऑर्गेनाइज्ड सेक्टर में जुड़े.
वहीं, EPFO के आंकड़े बताते हैं कि 2017 से 2019के बीच 2.85 करोड़ नये ग्राहक ईपीएफओ से जुड़े. 3.1करोड़ लोग ESI से जुड़े. 15.7 लाख न्यू पेंशन स्कीम से जुड़े.
इसके अलावा डिजिटल लेनदेन की संख्या भी बढ़ गई है 2016-17 में 1023 करोड़ डिजिटल लेनदेन होता था वो संख्या 2018-19 में बढ़ कर 3133 करोड़ हो गई.
वहीं, सरकार ने कहा कि मूडी’ज़ के हिसाब से विकास दर को डाउनग्रेड नहीं किया गयाबल्कि अपग्रेड किया गया और भारतीय अर्थव्यवस्था का आउटलुक पॉजिटिव से स्टेबल की ओर किया गया. हालांकि मूडी’ज़ ने 2019 में आउटलुक स्टेबल से नेगेटिव कर दिया था.
वहीं, घरेलू मोर्चे पर लोगों में सेविंग का ट्रेंड भी बढ़ गया करेंसी सेविंग दो लाख करोड़ रुपए से ज्यादा 2015-16 में थी वह बढ़कर2017-18 में बढ़कर 470809 करोड़ रुपए हो गई. जबकि नेट फाइनेंसियल सेविंग 11,10,845 करोड रुपए से बढ़कर 11,29,012 करोड रुपए हो गई. कुल मिलाकर सरकार ने यह कहा कि नोटबंदी से फायदे ही फायदे हुए हैं.