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इस मंदिर में प्रवेश के लिए पुरुषों करना पड़ता है 16 श्रृंगार, वजह है यह पौराणिक मान्यता…




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भारत में कई ऐसे मंदिर हैं, जिनसे जुड़ी हुई कई ऐसी मान्यताएं हैं जिसे सुनकर कोई भी हैरान हो सकता है लेकिन इन मंदिर से जुड़ी ये मान्यताएं मंदिर को विशेष बनाती है.जैसे, केरल के कोल्लैम में कोट्टनकुलंगरा देवी’ के मंदिर में पूजा करने का विशेष नियम है. यहां पर किसी भी पुरुष को मंदिर में तभी प्रवेश दिया जाता है जब वह स्त्री की ही तरह 16 श्रृंगार करके आता है. आइए, जानते हैं मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातें-

मंदिर में बिना श्रृंगार के नहीं मिलता प्रवेश

मंदिर में किसी एक या दो श्रृंगार करने से भी प्रवेश नहीं मिलता है बल्कि पूरे 16 श्रृंगार करने का सख्त नियम है. 16 श्रृंगार की यह पम्परा कई सालों से चली आ रही है.मंदिर में हर साल चाम्याकविलक्कू् पर्व का विशेष आयोजन किया जाता है. इस दिन यहां पर हजारों की संख्याो में पुरुष 16 श्रृंगार करके पहुंचते हैं.

मंदिर में ही मेकअप की व्यवस्था नहीं है इसलिए पुरुष बाहर से ही 16 श्रृंगार करके आते हैं. लेकिन यदि कोई दूसरे शहर से आया है या बाहर से मेकअप करके नहीं आया है, तो उसके लिए मंदिर में ही व्यवस्था की गई है. मंदिर परिसर में ही मेकअप रूम है. जहां पर जाकर पुरुष 16 श्रृंगार कर सकते हैं.

मनोकामना पूरी करने के 16 श्रृंगार करके आते हैं भक्त

कहा जाता है कि यहां महिलाओं से ज्यादा पुरुष मनोकामना पूर्ति के लिए दर्शन करने आते हैं. पुरुष यहां पर अच्छी नौकरी और अच्छीे पत्नी की मुराद लेकर आते हैं और मंदिर के नियमों के अनुसार पूजा करने से उनकी यह इच्छा पूरी हो जाती है. यही वजह है कि पुरुष यहां भारी संख्या में महिलाओं के वेश में पहुंचते हैं.

क्या है मंदिर की मान्यता

मान्यता है कि मंदिर में स्थापित मां की मूर्ति स्वयं ही प्रकट हुई है. इसके अलावा यह केरल प्रांत का इकलौता ऐसा मंदिर है, जिसके गर्भगृह के ऊपर किसी भी प्रकार की कोई भी छत नहीं है. माना जाता है कि सालों पहले कुछ चरवाहों ने मंदिर के स्थान पर ही महिलाओं की तरह कपड़े पहनकर पत्थर पर फूल चढ़ाए थे. इसके बाद पत्थंर से शक्ति का उद्गम हुआ. धीरे-धीरे आस्था बढ़ती ही चली गई और इस जगह को मंदिर में परिवर्तित कर दिया गया. मंदिर के बारे में एक और कथा प्रचलित है कि हर साल मां की प्रतिमा कुछ इंच तक बढ़ जाती है.