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छत्तीसगढ़ के इस जिले में 30 प्रतिशत पुरुषों को मुंह के कैंसर का खतरा…




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तंबाकू सेवन के बढ़ते चलन का दुष्परिणाम भी दिखने लगा है। सिम्स में बीते 20 महीने के भीतर 30 माउथ कैंसर पीड़ितों की जान सर्जरी कर बचाई गई। इनका कैंसर दूसरे व तीसरे स्टेज में पहुंच गया था। इस दौरान मरीजों पर किए गए शोध में पता चला है कि लगातार तंबाकू सेवन के कारण जिले के 30 प्रतिशत से ज्यादा पुरुषों को माउथ कैंसर को खतरा है। सिम्स के दंत रोग विभाग में ज्यादातर मरीज तंबाकू व गुटखा सेवन की वजह से होने वाली तकलीफ लेकर पहुंच रहे हैं। अप्रैल 2018 से मौजूदा स्थिति तक 200 से ज्यादा लोग माउथ कैंसर से पीड़ित मिले। इसकी जानकारी मिलने के बाद आधे से ज्यादा निजी हॉस्पिटल चले गए।

वहीं आर्थिक रूप से कमजोर 30 कैंसर पीड़ितों ने सिम्स के दंत रोग विभाग में उपचार कराया। ये सभी कैंसर के दूसरे व तीसरे स्टेज में पहुंच चुके थे। इसके बाद भी डॉक्टर इन मरीजों को बचाने में सफल रहे। स्थिति को देखते हुए सिम्स के डॉक्टर तंबाकू सेवन के दुष्परिणाम पर शोध भी कर रहे हैं।

लगातार 20 महीने के अध्ययन से यह बात सामने आई कि जिले में तंबाकू का चलन बढ़ता जा रहा है। डेंटल ओपीडी में पहुंचने वाले 100 से 30 मरीजों को तंबाकू सेवन की वजह से कोई न कोई दिक्कत होती है। इनकी जांच के दौरान डॉक्टरों ने पाया है कि तंबाकू नहीं छोड़ने की स्थिति में उन्हें माउथ कैंसर होने की आशंका है। डॉक्टरों के अनुसार तंबाकू व उससे बने उत्पाद के सेवन के प्रति लोगों को जागरूक करना बेहद जरूरी हो गया है।

महिलाओं में भी बढ़ रहा चलन

शहरी क्षेत्र की महिलाओं में भी भी तंबाकू की लत बढ़ती जा रही है। यह खुलासा ओपीडी पहुंचने वाले महिलाओं की जांच से हुआ है। हालांकि अभी स्थिति बिगड़ी नहीं है। तंबाकू सेवन का चलन बढ़ने पर आने वाले दिनों में महिलाओं में भी माउथ कैंसर के मामले दिखने को मिल सकते हैं।

इनके प्रयासों से बची मरीजों की जांच

माउथ कैंसर पीड़ितों की जान बचाने में सिम्स के दंत रोग विभाग के एचओडी डॉ. संदीप प्रकाश, ओरल एवं मेक्सिलोफेशिल सर्जन डॉ. केतकी किनीकर, डॉ. हेमलता राजमणी, डॉ. प्रकाश खरे, डॉ. सोनल पटेल, निश्चेतना विभाग के एचओडी डॉ. राकेश निगम, डॉ. भावना रायजादा, ईएनटी विभाग की एचओडी डॉ. आरती पांडेय, डॉ. बीआर सिंह का योगदान रहा है।

निजी अस्पताल में खर्च होते हैं डेढ़ से दो लाख रुपये

माउथ कैंसर पीड़ित सिम्स के बजाय किसी निजी अस्पताल में अपना उपचार कराते तो इन्हें डेढ़ से दो लाख रुपये तक का खर्च करना पड़ता। लेकिन सिम्स में कैंसर जैसे गंभीर मामले को देखते हुए सभी मरीजों का उपचार निःशुल्क किया गया।