मलेशिया की मेजबानी में इस हफ्ते कुआलाम्पुर शिखर सम्मेलन होने जा रहा है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान इस सम्मेलन में शामिल हो या न हो इस पर फैसला लेने वाले हैं। इस बीच सऊदी अरब पाकिस्तान को चेतावनी दी है और कहा कि वह हमे या मलेशिया में से किसी एक को चुन ले।
कुआलाम्पुर शिखर सम्मेलन 19 दिसंबर से 21 दिसंबर तक चलेगा और इसे मुस्लिम वर्ल्ड में एक नया पावर सेंटर बनाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। इस सम्मेलन में तुर्की, कतर, ईरान के नेता भी शामिल हो रहे हैं। इसमें 52 देशों के 450 नेताओं, स्कॉलरों, मौलानाओं और विचारकों के शामिल होने की उम्मीद है।
पाकिस्तान की सूचना एवं प्रसारण मंत्री फिरदौस आशिक अवान कहा है कि प्रधानमंत्री इमरान खान के बहरीन और स्विटजरलैंड से लौटने के बाद कुआलाम्पुर सम्मेलन पर फैसला किया जाएगा। लेकिन कहा जा रहा है कि सऊदी अरब के दबाव में इमरान ने इस समिट में शामिल नहीं होंगे।
हाल के दिनों में पाकिस्तान, मलेशिया और तुर्की की दोस्ती चर्चा का विषय रही है। कश्मीर मुद्दे पर समर्थन हो या फिर संयुक्त राष्ट्र महासभा के मंच से मुस्लिम दुनिया के नए नेतृत्व की तरफ इशारा।
लेकिन इमरान खान इस सम्मेलन में जाने से डर रहे हैं, क्योंकि सऊदी अरब पाकिस्तान की मलेशिया-तुर्की के साथ इस्लामिक गठजोड़ की कोशिश से नाराज है। इस सम्मेलन को सऊदी अरब अपने नेतृत्व वाले ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक को-ऑपरेशन (OIC) का विकल्प तैयार करने की कोशिश के तौर पर देख रहा है। सऊदी अरब का मुस्लिम वर्ल्ड में दबदबा रहा है और वह इस सम्मेलन को खुद की बादशाहत को चुनौती के रूप में देख सकता है।
इमरान खान ने मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर बिन मोहम्मद और तुर्की राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगान के साथ मुस्लिम दुनिया की समस्याएं और इस्लामोफोबिया को लेकर चर्चा की थी। उस समय भी इस तिकड़ी पर सऊदी अरब ने नाराजगी जताई थी।
इमरान ने पहले कहा था कि कुआलाम्पुर शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे, लेकिन अब इस फैसला लेने की बात कर रहे हैं। सऊदी अरब ने इसे लेकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। इमरान खान ने शरियाद की यात्रा की थी और उन्होंने सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को आश्वस्त किया कि सऊदी के हितों के खिलाफ वह किसी भी बैठक में शामिल नहीं होंगे।
पाकिस्तान सऊदी की नाराजगी मोल लेने से डर रहा है, क्योंकि उसने सऊदी अरब ने पाकिस्तान को भारी-भरकम कर्ज दिया है। सऊदी ने इमरान सरकार आने के बाद 6 अरब डॉलर की वित्तीय मदद पहुंचाई है। सऊदी में 27 लाख पाकिस्तानी भी रहते हैं जो कमाई का अहम हिस्सा भेजते हैं।
कुआलालंपुर समिट को लेकर सऊदी अरब और उसके सहयोगी देश असहज हैं। सऊदी के नेतृत्व वाले ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक को-ऑपरेशन के बारे में कहा जा रहा है कि यह निष्क्रिय हो गया है, इसलिए मुस्लिम देशों को एक नए मंच की जरूरत है।