रायपुर | गुमशुदगी की आधी रात मिली सूचना के बाद एक टीम ने ईडी, इंकम टैक्स और जीएसटी वालों से पूछा कि उन्होंने तो हिरासत में नहीं लिया, सुबह तक सबने मना कर दिया, तब कंफर्म हुआ कि सोमानी को अपहरणकर्ता ले गए। उसके बाद पुलिस की 8 टीमों ने अलग-अलग दिशाओं में पांच राज्यों में 3200 किमी सफर किया। रायपुर में बैठी टीमों ने 5 लाख से ज्यादा फोन काॅल्स खंगाले। आखिरकार 14वें दिन पूरे 326 घंटे बाद उद्योगपति मिल गए पुलिस को। पुलिस ने यह सब किस तरह किया, भास्कर को बता रहे हैं एसएसपी आरिफ शेख
एसएसपी के मुताबिक
उद्योगपति प्रवीण सोमानी 8 जनवरी की शाम 6 बजे अगवा हुए। 9 घंटे बाद रात 3.30 बजे उनके रिश्तेदार ने मुझे फोन किया और कहा कि वो अब तक नहीं आए हैं। मैंने पंडरी थानेदार एसएन अख्तर को उनके घर भेजा और सीएसपी अभिषेक महेश्वरी को लगाया। वे उसी समय घर पहुंचे और जांच शुरू हो गई जो 22 जनवरी को सुबह 4 बजे उद्योगपति को सुरक्षित अपने कब्जे में लेने के साथ खत्म हुई।सोमानी की गुमशुदगी के अगले दिन, 9 जनवरी को सुबह ही संकेत मिल गए थे कि बिहार के प्रोफेशनल गैंग ने प्रवीण का अपहरण किया है। यहां पुलिस ने कंफर्म कर लिया था कि ईडी, इंकमटैक्स या जीएसटी वाले भी इन्हें हिरासत में नहीं ले गए। फिर तेलंगाना के वरिष्ठ अधिकारियों से पूछा, क्योंकि प्रवीण का एक भाई वहीं है।
वहां से इनकार होने पर पूरी टीम लगाई गई। कुछ ही घंटे में प्रवीण की गाड़ी और कुछ फुटेज मिल गए। तब मैंने बिहार में अपने बैचमेट एसपी को पूरी वारदात बताई तो उन्होंने तुरंत कह दिया कि ऐसा अपहरण चंदन सोनार या उससे जुड़े बदमाश करते हैं। अगले दिन प्रवीण का मोबाइल परसूलीडीह में मिल गया। प्रवीण के मोबाइल के आखिरी कॉल की रिकार्डिंग में अपहरणकर्ताओं की बातचीत थी। इसके बाद ही जांच की दिशा तय होगई।
8 टीमों में 70 पुलिस अफसर-कर्मी
1. एएसपी पंकज चंद्रा: टीआई सोमन ग्वाल के साथ 10 जवानों की टीम। काॅल डीटेल व फुटेज की जांच।
2. एएसपी तारकेश्वर पटेल: बिहार और यूपी में सभी टीमों का नेतृत्व। चौथे दिन से ही बिहार में डाला डेरा।
3. डीएसपी अभिषेक महेश्वरी: पप्पू चौधरी और अनिल के नंबरों की जांच के अलावा यूपी-बिहार में छापेमारी।
4. डीएसपी नसर सिद्दीकी: बिहार में पप्पू चौधरी गिरोह की पहचान के बाद टीम के साथ सूरत-गुजरात में कैंप।
5. डीएसपी लोकेश देवांगन-कल्पना वर्मा: कैमरे जांचने वाली टीम, आईटीएमएस के कंट्रोल रूम से मानीटरिंग।
6. टीआई विशाल सोन: वारदात के तीसरे दिन बिहार रवाना। पटना में रहकर सारे हिस्ट्रीशीटरों का ब्योरा लिया।
7. टीआई रमाकांत साहू: एक संदेही के साथ ओडिशा में गंजाम भेजा गया। वहां सेकेंड लीडर मुन्ना को पकड़ा।
8. नितिन उपाध्याय-अश्वनी राठौर: धनेली से फुटेज की जांच करते हुए जौनपुर पहुंचे। गाड़ी नंबर जुटा लिया।
ओडिशा से यूपी तक नान स्टाॅप सफर कर टीम पहुंची ग्राउंड जीरो पर
गंजाम जिले के खुदरा गांव से इंस्पेक्टर रमाकांत साहू और टीम ने 11 सौ किमी का सफर नानस्टॉप तय किया। वह मुन्ना को लेकर 21 जनवरी की सुबह प्रतापगढ़ के इल्तिफात गंज पहुंच गई। केवल मुन्ना ही जानता था कि सोमानी को गैंग लीडर पप्पू चौधरी ने कहां छिपाकर रखा है। इसी वजह से पुलिस बिना रुके प्रतापगढ़ पहुंची। प्रतापगढ़ में एएसपी पटेल और सीएसपी महेश्वरी की टीम उनका इंतजार कर रही थी। यहां भी छापे के पहले ही पप्पू चौधरी ने सोमानी को कहीं और शिफ्ट कर दिया। मुन्ना अपहरण गैंग का दूसरे नंबर का लीडर था। उसका पता लगाने के लिए भी पुलिस को पप्पू के मोबाइल का तीन महीने का रिकार्ड खंगालना पड़ा। पंडरी बस स्टैंड के सामने मुथूट फाइनेंस से पुलिस को पप्पू और अनिल चौधरी के फुटेज मिल गए थे। यही नहीं, पुलिस को कवर्धा से इलाहाबाद और जौनपुर तक एक गाड़ी के फुटेज भी मिल गए थे।
ओड़िशा से सुलझने लगी गुत्थी
इस बीच सीएसपी उरला को पप्पू के मोबाइल से ओडिशा का एक नंबर मिला। उन्होंने टीआई रमाकांत साहू के साथ एक टीम ओडिशा रवाना की। इस टीम के पास केवल एक मोबाइल नंबर और लोकेशन था। इसी आधार पर टीम गंजाम पहुंच गई। वहां पता चला नंबर मुन्ना नाइक का है। मुन्ना का क्रिमिनल रिकार्ड देखते ही पुलिस का शक गहराया। उसकी तलाश में छापेमारी की गई पर वह भाग निकला। फिर पुलिस ने करीबियों पर दबाव बनाया। एक काॅल रिकार्ड मिला, जिसका लोकेशन गंजाम से 150 किलोमीटर दूर खुदरा गांव का था। पुलिस ने सुबह 7 बजे छापा मारा और मुन्ना को भाई के घर से पकड़ा।
मुन्ना ने ही बताया कि पप्पू ने प्रवीण को यूपी के प्रतापगढ़ में छिपाया है। तब सीएसपी महेश्वरी की टीम जौनपुर यानी प्रतापगढ़ से 450 किमी दूर थी। किलोमीटर की दूरी पर थी, जबकि मुन्ना के साथ इंस्पेक्टर साहू की टीम 11 सौ किमी दूर थी। फिर भी, सीएसपी अपनी टीम लेकर प्रतापगढ़ की ओर रवाना हुए।
एक दिन पहले क्लीनिक से शिफ्ट
एसएसपी: मेरे कहने पर मुन्ना को लेकर इंस्पेक्टर साहू की टीम भी प्रतापगढ़ रवाना हो गई। यह टीम मुन्ना की लीड पर सीएसपी की टीम को रास्ता बता रही थी। एएसपी और सीएसपी की टीम आधी रात प्रतापगढ़ पहुंच गई। उन्होंने तकनीकी जांच के बाद कुछ फोटोग्राफ इंस्पेक्टर साहू की टीम को भेजे। उन फोटो में मुन्ना ने डा. आफताब को पहचाना और फिर नाम-पते मिल गए। तब वहां मौजूद टीमों ने डा. आफताब के घर और क्लीनिक पर एक साथ छापे मारे।
लेकिन पप्पू ने सोमानी को एक दिन पहले दूसरी जगह शिफ्ट करवा दिया था। छापे के दो घंटे बाद इंस्पेक्टर साहू की टीम प्रतापगढ़ पहुंच गई। मुन्ना से यहां भी लंबी पूछताछ की गई, लेकिन नए ठिकाने का पता नहीं चला।
डीजीपी अवस्थी ने दिया सम्मान पत्र
डीजीपी डीएम अवस्थी ने इंद्रधनुष योजना के तहत सोमानी अपहरण केस में शानदार काम करने वाले 63 पुलिस वालों को प्रमाण पत्र देकर सम्मान किया। पुलिस लाइन मेस में सम्मान समारोह का आयोजन किया गया था। एसएसपी शेख आरिफ और उनकी टीम की डीजीपी ने जमकर तारीफ की। उन्होंने टीम का हौसला बढ़ाया और आगे भी ऐसी पुलिसिंग देखने की उम्मीद जताई।