CAA और NRC को लेकर जारी देशव्यापी विरोध के बीच गृह विभाग ने नोटिफिकेशन जारी किया है। इससे पहले केंद्रीय कैबिनेट ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) अपडेट करने को मंजूरी दे दी है। एनपीआर अपग्रेडेशन के लिए कैबिनेट ने 3900 करोड़ रुपए के फंड आवंटन को भी स्वीकृति दी है। इसमें देश के नागरिकों का डाटा होगा। इस अप्रैल से एनपीआर अपडेट करने का काम शुरु किया जाएगा। सरकार ने स्पष्ट किया कि एनपीआर अपडेशन के दौरान व्यक्ति द्वारा दी गई जानकारी को ही सही माना जाएगा, उसे कोई दस्तावेज नहीं देना होगा।
एनपीआर अपग्रेडेशन के लिए मध्यप्रदेश में 1 मई से अभियान शुरू होगा जो 14 जून तक चलेगा। इस दौरान NPR के लिए कोई भी दस्तावेज नहीं देना होगा । NPR के लिए 16 तरह के सवाल पूछे जाएंगे। बता दें कि एनपीआर देश के सभी स्थानीय निवासियों का ब्यौरा है। देश के हर स्थानीय निवासी को एनपीआर में रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है। अगर कोई बाहरी (विदेशी) व्यक्ति देश के किसी हिस्से में छह महीने से ज्यादा समय से रह रहा है, तो उसका ब्यौरा भी एनपीआर में दर्ज होगा।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में इसे शुरू किया गया। अब केवल इसे अपडेट किया जा रहा है। 2011 की जनगणना के लिए 2010 में घर-घर जाने के दौरान ही एनपीआर के लिए जानकारी इकठ्ठा की गई थी। इस डाटा को 2015 में घर-घर सर्वे करके अपडेट किया गया था। इस जानकारी का डिजिटलाइजेशन भी किया गया। ‘नागरिकता कानून 1955’ और ‘नागरिकता पंजीयन व राष्ट्रीय पहचान पत्र आवंटन नियम, 2003’ के मुताबिक एनपीआर तैयार किया जाता है। सरकार ने अगस्त में इसको लेकर नोटिफिकेशन भी जारी किया था। रजिस्ट्रार जनरल और सेंसस (जनगणना) कमिश्नर के मुताबिक, असम को छोड़कर देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अप्रैल से सितंबर 2020 तक घर-घर जाकर लोगों से जानकारी ली जाएगी। इसी दौरान एनपीआर को अपडेट किया जाएगा।