रायपुर। भिलाई के विभिन्न कारखानों में काम करने वाले श्रमिकों ने मशाल रैली निकालकर व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाई। देश की आजादी के लिए कुर्बानी देने वाले शहीदों को नमन किया। शहीदों को श्रद्धांजलि दी। साथ ही किसान आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों को भी याद किया गया। संघर्षों और आंदोलन को लेकर चर्चा की गई। भिलाई में श्रमिकों के शोषण को लेकर रोष जाहिर किया गया।
छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा मजदूर कार्यकर्ता समिति से संबंद्ध ट्रेड यूनियन के सदस्यों ने मुर्गा चौक से मशाल जुलूस निकाल कर अम्बेडकर चौक में एकत्रित हुए। श्रमिक नेता कलादास डेहरिया ने कहा कि भिलाई इस्पात संयंत्र के अधीन जेपी सीमेंट के मजदूर तीन वर्षों से काम से बाहर हैं। लगातार मजदूर संघर्षों पर डटे हुए हैं। वहीं, 91 दिनों से बीएसपी के लोको चालक औद्योगिक संबंध विभाग-आइआर के सामने धरने पर बैठे हैं।
लेकिन आज तक कोई सार्थक पहल प्रबंधक द्वारा नहीं किया गया। मजदूर अपने एकता और संघर्ष के बदौलत टिके हुए हैं। अभी तक हार नहीं माने हैं। संयंत्र और औद्योगिक क्षेत्र के मजदूर आज भी मालिकों और ठेकेदारो के गुलाम हैं। आजाद भारत में न्यूनतम वेतन तक नहीं दिया जा रहा है। साथ ही सरकार के बनाए हुए कानून का पालन कराने के लिए मजदूरों को भूख हड़ताल करनी पड़ती है।
एक जुलाई भिलाई गोलीकांड और शंकर गुहा नियोगी की हत्या तानाशाह सरकार के व्यवस्था में बड़ा उदाहरण है। संयंत्र के आईआर गेट के सामने मृतक कार्तिक राम ध्रुव के परिवार वाले अनुकंपा नियुक्ति के लिए धरने पर बैठे हैं। परन्तु कोई सुनने वाला नहीं है। आजादी के दिन बड़े-बड़े नेता आते-जाते रहे, लेकिन कोई मजदूरों के ध्ारना स्थल तक नहीं पहुंचा। चुनाव आ रहा है, फिर कोई बड़ा वादा किया जाएगा।
हर बार की तरह मजदूर ठगा जाता रहेगा। मशाल रैली के दौरान किसानों पर हुए लाठीचार्ज का विरोध किया गया। कार्यक्रम में योगेश्वर वर्मा, जितेंद्र, जयप्रकाश नायर, विदेश ठाकुर, मनीष, नरोत्तम टंडन, के. रवि, लोकेश, वेंकट आदि शामिल थे।