13 साल की लंबी जांच और कोर्ट में चली सुनवाई के बाद आख़िरकार एक पीड़ित परिवार को न्याय मिल गया। इससे यह तो साफ हो गया कि न्याय में देर है पर अंधेर नहीं। दरअसल, रायपुर के बागड़ी नर्सिंग होम की डॉ. शकुन बागड़ी को एक साल की कैद और 10 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई गई है।
इनके अस्पताल में एक्सपायरी इंजेक्शन लगाने से मां बनने वाली एक महिला की मौत हो गई थी। मृतका के परिजन 13 साल तक इंसाफ के लिए में न्याय की चौखट पर जाते रहे जो इन्हें अब जाकर मिला है। न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी सत्यानंद प्रसाद की कोर्ट ने डॉ. शकुन बागड़ी को लापरवाही बरतने का दोषी पाया और सजा सुनाई।
लाइसेंस रद्द करने की मांग
इस मामले को उजागर करने वाले आरटीआई एक्टिविस्ट संजीव अग्रवाल ने बताया कि पहले भी एक प्रकरण में डॉ. शकुन बागड़ी को 1 दिन की जेल हो चुकी है। अग्रवाल ने अब सरकार से डॉ. बागड़ी का लाइसेंस रद्द करने की मांग की है। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के कई मामले अदालतों और थानों में चल रहे हैं। इनमें जल्द से जल्द कार्रवाई करते हुए दोषियों को सजा देने की ओर पहल करें ताकि भविष्य में अन्य किसी व्यक्ति के साथ इस तरह की लापरवाही न हो।
14 नवंबर 2007 की रात यह हुआ था
घटना 14 नवंबर 2007 की रात की है, जब रायपुर के रहने वाले रूपेश ने अपनी को पत्नी को प्रसव के लिए अस्पताल में भर्ती किया। अगले दिन सुबह उनकी पत्नी को ग्लूकोज की ड्रिप लगा कर दर्द कम करने के लिए इंजेक्शन दिया गया। इसी दिन शाम को फिर से उसे लेबर रूम ले जाया गया। करीब 7.30 बजे डॉक्टर ने रूपेश को बताया कि उनकी पत्नी की सांसे रुक रही हैं। इस पर उनके चाचा ने अंदर जाकर देखा और बताया की उसकी मौत हो चुकी है। मामला कोतवाली थाने पहुंचा और जांच में पता चला कि महिला की मौत एक्सपायरी इंजेक्शन लगाने से हुई थी।