केंद्र सरकार ने कोवीशील्ड वैक्सीन को लेकर अब नई गाइडलाइन जारी की है। इसके मुताबिक कोवीशील्ड वैक्सीन के दो डोज के बीच का समय पहले से दो हफ्ते ज्यादा रहेगा। अब तक कोवीशील्ड के दोनों वैक्सीन के बीच 4 से 6 हफ्ते, यानी 28 से 42 दिन का अंतर रखा जाता था। नए निर्देश के मुताबिक अब यह अंतर 4 से 8 हफ्ते यानी 28 से 56 दिन का होगा। नया नियम सिर्फ कोवीशील्ड वैक्सीन पर लागू होगा। देसी वैक्सीन यानी भारत बायोटेक के कोवैक्सिन पर नया नियम लागू नहीं होगा। कोवैक्सिन के दो डोज चार हफ्ते के अंतर से ही लगाए जाएंगे।
इसे हमें कोवीसील्ड के टेस्टिंग फॉर्मूले से समझना चाहिए। पुराना फॉर्मूला 1/28/42 का है। यानी पहला दिन वैक्सीन का, 28वां दिन वैक्सीन के दूसरे डोज का और 42वां दिन एंटीबॉडी टेस्ट का। इससे पता चलता है कि आपके शरीर में वैक्सीन ने काम करना शुरू किया या नहीं। अब ये फॉर्मूला होगा 1/42/56 का। यानी पहला दिन वैक्सीन का। 42वें दिन वैक्सीन का दूसरा डोज और 56वें दिन एंटीबॉडी टेस्ट।
नई गाइडलाइन को लेकर केंद्र ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को सूचित कर दिया है। इस समय देश में कोरोना के दो टीके का ही इस्तेमाल हो रहा है- 1. पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में बन रही कोवीशील्ड, और, 2. हैदराबाद की भारत बायोटेक की कोवैक्सिन।
नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्युनाइजेशन (NTAGI) और नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप ऑन वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन फॉर कोविड-19 (NEGVAC) की 20वीं बैठक में कोवीशील्ड पर यह फैसला किया गया। इसके आधार पर केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर कहा कि भारत सरकार ने दोनों ही समूहों की सिफारिशों को मंजूर कर लिया है।
ज्यादा लोग वैक्सीनेशन के दायरे में आएंगे
वैक्सीन एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना के खिलाफ ज्यादातर वैक्सीन दो डोज की हैं। पहला डोज आपके शरीर को वायरस को पहचानने और इम्यून सिस्टम को तैयार करने के लिए ट्रेन करता है। दूसरा डोज बूस्टर शॉट होता है। शरीर में पहले डोज के बाद ही प्रोटेक्शन की लेयर बननी शुरू हो जाती है। बूस्टर डोज से उसे स्पीड मिल जाती है।
भोपाल में कोरोना वैक्सीनेशन की प्रक्रिया से जुड़े डॉ. तेजप्रताप तोमर कहते हैं कि इसके दो फायदे हैं। दूसरा डोज देने के लिए ज्यादा वक्त मिल जाएगा। अभी वैक्सीन के डोज सीमित है। ज्यादा लोग कम से कम एक डोज ले चुके होंगे। दूसरा, कोवीशील्ड की इफेक्टिवनेस बढ़ जाएगी।
मुंबई में जसलोक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में इनफेक्शियस डिजीज डिपार्टमेंट की कंसल्टेंट डॉ. माला वी. कानेरिया कहती हैं कि कोवीशील्ड के दो डोज में छह हफ्ते का अंतर रखा तो इफेक्टिवनेस 54.9% थी। जब 12 हफ्ते का अंतर रखा तो इफेक्टिवनेस बढ़कर 82% हो गई। जितना देरी से दूसरा डोज लगाएंगे, उतना ही अधिक प्रोटेक्शन का लेवल भी मिलेगा।
UK में 12 हफ्ते, USA में 6 हफ्ते का अंतर
UK के हेल्थ रेगुलेटर MHRA ने कोवीशील्ड को अप्रूवल देते हुए कहा था कि दो डोज में तीन महीने का अंतर रखा तो वैक्सीन की इफेक्टिवनेस 80% तक रही थी। इसी वजह से तय किया गया कि 12 हफ्ते का अंतर दो डोज में रखा जाए। इससे ज्यादा से ज्यादा लोग वैक्सीन के कवरेज में आ सके। वहीं, अमेरिका में भी कोवीशील्ड के दो डोज के बीच 6 हफ्ते तक का अंतर तय किया गया है।