खरीद-फरोख्त के लिए माफिया भी है सकरी
मुकेशरंगारे (विशेष प्रतिनिधि )
लालबर्रा – भारतीय खाद्य प्रणाली के तहत गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से गांव गांव में सरकार द्वारा शासकीय उचित मूल्य की दुकान खोली गई है और नियमानुसार सब्सिडी वाला राशन वितरण किया जा रहा है गेहूं चावल शक्कर सहित केरोसिन भी परिवारों को सरकार उपलब्ध करा रही है योजना तो बहुत अच्छी है लेकिन योजना को पलीता लगता हुआ दिखाई पड़ रहा है गरीब लोगों को मिलने वाला केरोसिन और शक्कर उसका उपयोग तो वे लोग कर रहे हैं लेकिन गेहूं और चावल को बेचकर थोड़ा अच्छे किस्म का चावल लेते नजर आ रहे हैं कहने का अर्थ यह है कि क्या शासन द्वारा गरीब परिवारों को प्रदाय किया जाने वाला चावल खाने योग्य नहीं है क्या सरकार द्वारा अमानक स्तर का चावल और गेहूं गरीब परिवारों को परोसा जा रहा है या सरकार की अच्छा अनाज देने की तो है लेकिन मिलर्स सांठगांठ के चलते अमानक अनाज का भंडारण गोदामों में कर रहे हैं और वही अनाज सास की दुकानों के माध्यम से गरीबों को थाली परोसा जा रहा है हालांकि यह बात सरकारी तंत्र से सूखी हुई नहीं है फिर भी ऐसा हो रहा है तो आम आदमी यह मानता है कि सरकारी तंत्र से मिलर्स लोगों की आप से सांठगांठ बनी हुई होगी अब गरीब आदमी करे भी तो क्या करें किसे बताएं कौन उनका माई बाप है वोट देकर अपना प्रतिनिधि और सरकार इसलिए चुनते हैं उन्हें हर प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध हो सके लेकिन होता उसका उल्टा है वोट मांगने के लिए घर घर जाने वाला प्रतिनिधि जब जनता का सेवक बन जाता है तो फिर जनता का भी नहीं सुनता और जनता को उसके दरबार में अपनी फरियाद लगाने के लिए घंटों खड़े होना पड़ता है इसका फायदा अनाज का काला कारोबार करने वाले माफिया भी फायदा उठाने में कमी नहीं कर रहे हैं स्थानीय स्तर पर ही देखे तो कम से कम 5 से 10 लोग गरीबों का अनाज सस्ते दामों पर खरीद कर भारी मुनाफा कमा रहे हैं फिलहाल कोविड-19 के चलते राज्य सरकार और केंद्र सरकार ने गरीब परिवारों को अधिक मात्रा में अनाज उपलब्ध कराया है जिस पर इन माफियाओं की गिद्ध नजर बनी हुई है और वे शासकीय अनाज खरीद कर धड़ल्ले के साथ परिवहन कर रहे हैं इसके पहले गत वर्ष की बात करें तो प्रशासन द्वारा अवैध रूप से शासकीय राशन का क्रय करने वाले लोगों पर कार्रवाई की थी जिससे कुछ हद तक इस अवैध कारोबार पर और कुछ भी लगा हुआ था लेकिन आप प्रशासनिक अमले का भी ध्यान इस ओर रही है मानो प्रशासनिक अमला गहरी नींद में सो गया है या फिर उसे नींद की गोली देकर सुला दिया गया है
गोदामों में भरा है अमानक स्तर का चावल
विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार लालबर्रा के गोदामों में कुछ मिलर्स के अमानक चावल के सैकड़ों क्विंटल चावल आज भी भरे हुए हैं जिन्हें नोटिस जारी कर अपने अमानक अनाज उठाकर मानक स्तर के अनाज लाने के लिए कहा गया है बावजूद अपने राजनीतिक रसूख के चलते उनके द्वारा साल भर की अवधि बीत जाने के बाद भी चावल नहीं उठाया गया है वही वे लोग प्रशासनिक अधिकारियों को अनेक प्रकार की धमकी भी देते हैं जिसकी वजह से गोदाम के कर्मचारी भी परेशान है और काफी डरे हुए हैं अगर वे जिला कलेक्टर व दंडाधिकारी से भी गुहार लगाएं तो क्या होगा कुछ नहीं होगा यही समझ कर वे लोग भी ऐसे मिलर्स को झेल रहे हैं हालांकि जो भी हो ऐसे मामलों में शासन और प्रशासन को अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करना चाहिए ताकि गरीब लोगों की थाली ओं में गुणवत्ता युक्त अनाज पहुंच सके क्योंकि वे भी तो इस देश का हिस्सा है और कहीं ना कहीं देश की तरक्की में उनके परिवार का योगदान भी अमूल्य है