इलाहाबाद हाई कोर्ट में प्रयागराज जिले के चर्चित चंद्रशेखर आजाद पार्क से कब्र और मस्जिद हटाने की मांग करते हुए एक याचिका दाखिल दी गई है. याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने नोटिस जारी किया है.
हाई कोर्ट ने याचिका पर सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और राज्य सरकार सहित सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि मुस्लिम समुदाय चंद्रशेखर आजाद पार्क में कृत्रिम कब्रें और मजार बना रहा है.
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि इसी तरह का आदेश 1987 में अवैध अतिक्रमण को लेकर पारित किया गया था. कोर्ट ने पूछा कि इस आदेश को लागू क्यों नहीं किया गया. प्रशासन के रवैये से खफा दिख रहे हाई कोर्ट ने पूछा कि आखिर “अधिकारी क्या कर रहे हैं?”
याची जितेंद्र सिंह की ओर से यह याचिका दाखिल की गई है. इस मामले की अगली सुनवाई अब 19 जुलाई को होगी. कार्यवाहक चीफ जस्टिस मुनीश्वर नाथ भंडारी और जस्टिस राजेंद्र प्रसाद की खंडपीठ में सुनवाई हुई.
HC में गंगाजल से इलाज का मामला
दूसरी ओर, गंगाजल से इलाज करने का मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट में पहुंच में गया है. इससे जुड़े मामले को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई स्वीकार कर लिया गया है.
हाई कोर्ट ने इसे लेकर केंद्र सरकार की एथिक्स कमिटी और ICMR को भी नोटिस भेजकर जवाब मांगा है. हाई कोर्ट ने जवाब देने के लिए इन दोनों संस्थानों को छह हफ्ते का समय दिया है. इस याचिका में दावा किया गया है कि गंगाजल से कोरोना का इलाज किया जा सकता है.
इससे पहले याची ने पिछले साल मार्च में ही राष्ट्रपति को गंगाजल से कोरोना के इलाज को लेकर एक शोध पत्र भेजा था. गंगा मंत्रालय ने इसे आईसीएमआर को भेजा था जिसे आईसीएमआर ने रिजेक्ट कर दिया था. इस पर याची ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के 5 डॉक्टरों की टीम से शोध कराया था. इसका शोध पत्र इंटरनेशनल जनरल में सितंबर में प्रकाशित हुआ था