रायपुर– आईपीएस जीपी सिंह पर एसीबी छापे की खबर ने पूरे सूबे को हिला दिया है। हर जगह इसकी ही चर्चा है, लेकिन आखिर ये छापा पड़ा क्यों? इसके पीछे तीन वजह निकलकर सामने आ रही है। पहली वजह है कि इनकम टैक्स के छापे, दूसरी वजह लगातार अफसरों की यहां-वहां शिकायतें और तीसरी सरकार विरोधी गतिविधियों में संलिप्तता। ये तीन वजहें ही जीपी सिंह के घर पर छापे का आधार बनीं।
आईपीएस जीपी सिंह के ठिकानों पर एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) का छापा मारने की तैयारी कई दिनों से चल रही थी। इसकी पहली पृष्ठभूमि तैयार हुई 11 महीने पहले प्रीतपाल चंडोक के यहां पड़े आयकर छापे के बाद। चंडोक जीपी के करीबी कहे जाते हैं। आयकर विभाग ने चंडोक के यहां से मिले तथ्यों को एंटी करप्शन ब्यूरो काे भेज दिया था। 8 अगस्त 2020 को आयकर विभाग के छापों के दौरान चंडोक के साथ जीपी सिंह के कारोबारी ताल्लुकात की जानकारी सामने आई थी।
उसके बाद आयकर विभाग ने एसीबी के अफसरों को तथ्य भेजे थे। इनमें बेनामी प्रापर्टी समेत कई लेन-देन की सूचना थी। उल्लेखनीय है कि एसीबी ने जीपी सिंह के 13 लाख रुपए चंडोक के यहां से ही कल बरामद किया है। इसके अलावा सरकारी अफसरों की शिकायतों ने प्रमाण तैयार करने में मदद की। बताया जा रहा है कि सरकारी अमले से जीपी सिंह के खिलाफ चार अलग-अलग शिकायतें एसीबी को मिली हैं।
एसीबी चीफ रहते हुए जीपी सिंह ने जिन अफसरों पर दबाव डाला था। उन लोगों ने अलग-अलग माध्यमों से एसीबी और राज्य सरकार तक यह बात पहुंचाई थी कि आईपीएस अफसर ने उनको ब्लैकमेल करने का पूरा दबाव बनाया था। एसीबी के प्रकरण समाप्त करने से लेकर प्रापर्टी खरीदने वाले अफसरों को डराने के कई प्रयास हुए हैं।
शिकायतों से यह खड़ी हुईं। उसके बाद हर शिकायत के आधार पर एसीबी ने अलग-अलग जांच की। इन जांच के दौरान एडीजी के कुछ और लोगों से संपर्क कर उनसे बात करने के प्रमाण मिले। राज्य शासन के कई प्रमुख लोगों के खिलाफ दुष्प्रचार की बातों ने भी आग में घी का काम किया।
इनमें ऐसी बातें सामने आईं कि जो लोग शासन विरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं, उनके साथ एडीजी की मिलीभगत है। इन बातों को ध्यान में रखते हुए करीब 15 दिनों पहले ही एसीबी ने जीपी सिंह के खिलाफ प्रारंभिक जांच का प्रकरण बनाया। इनमें उन शिकायतों को आधार बनाया गया जिनको सरकारी अफसरों ने भेजा था।
आगे क्या होगा : केंद्र की अनुमति के बाद कोर्ट में चालान
आय से अधिक संपत्ति के मामले में एसीबी की जांच पूरी होने के बाद कोर्ट में चालान प्रस्तुत किया जाएगा। पर इस चालान को पेश करने से पहले केंद्र सरकार से अनुमति लेनी होगी। चालान पेश होने के बाद राज्य सरकार जीपी सिंह को निलंबित कर सकती है।
डायरी बरामद करने के लिए गटर में कूदना पड़ा था
एसीबी की टीम को जीपी सिंह की डायरी बरामद करने के लिए गटर में कूदना पड़ा था। बताते हैं कि छापा मारने गई टीम को घर के भीतर प्रवेश करने के लिए 45 मिनट तक इंतजार करवाया गया था। उसी दौरान कागजात और डायरी को घर के पीछे के गटर में नाले में फेंक दिया गया था।
इस डायरी को निकालकर एसीबी की टीम ने गवाहों के समक्ष जब्ती बनाई है। इसी डायरी में शासन और पुलिस मुख्यालय के कई प्रमुख अफसरों के खिलाफ अलग-अलग टिप्पणियां मिली हैं। इसमें एक विवादास्पद अफसर को उन्होंने कोड वर्ड में टकला अफसर लिखा है।
रात 3 बजे तक 6 घंटे अफसरों की बैठक 25 जवानों ने जीपी का घर घेरा, फिर लौटे
शनिवार की रात 1:30 बजे सिविल लाइन में अधिकारियों की गाड़ियां।
चंदखुरी पुलिस अकादमी के डायरेक्टर एडीजी जीपी सिंह के सरकारी बंगले से 64 घंटे बाद एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) की टीम लौट गई, लेकिन राजधानी पुलिस की टीम वहां डट गई है। एडीजी सिंह के पुलिस लाइन के पीछे नेशनल हाइवे कॉलोनी स्थित सरकारी बंगले से शनिवार की रात 9 बजे जैसे ही एसीबी की टीम निकली, उसके आधे घंटे बाद वहां हलचल तेज हो गई।
रायपुर पुलिस के 5 टीआई विनीत दुबे, सोनल ग्वाला, भरत बरेठ, अमित तिवारी और गिरीश तिवारी 20 जवानों की फोर्स लेकर वहां पहुंचे। आधा दर्जन से ज्यादा गाड़ियों में बंदूक और लाठी से लैस जवान उतरे। इसमें तीन महिला पुलिसकर्मी भी थीं। सायबर सेल के जवान भी सादी वर्दी में वहां थे। टीआई फोर्स के साथ आधे बंट गए। एडीजी सिंह के बंगले के चारों ओर घूमने लगे। बंगले के 300 मीटर के इलाके को पूरी तरह सर्च किया गया। कुछ जवान आसपास के मकानों की छत पर चढ़ गए। बंगले के सामने से गुजरने वाली हर एक गाड़ियों पर नजर रखी जा रही थी। एक घंटे की सर्चिंग के बाद जवानों को बंगले के चारों ओर तैनात कर दिया गया।
बंगले के पीछे के हिस्से और गेट पर ज्यादा जवान लगाए गए। पांचों टीआई एडीजी के गेट पर ही कुर्सी लगाकर बैठ गए। रात 11.45 बजे एक एडिशनल एसपी सफेद गाड़ी में आए, तो अचानक फिर हलचल तेज हो गई। अधिकारी गाड़ी से उतरे और बंगले के बाहर के हिस्से का निरीक्षण किया। वहां बैठे टीआई को कुछ निर्देश देकर चले गए।
इधर वरिष्ठ अधिकारियों की रात 10 बजे कंट्रोल रूम में बैठक शुरू हो गई। इसमें रायपुर पुलिस, एसीबी के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। इतनी हाईलेवल घेरेबंदी को लेकर मंत्रणा चल रही थी। ये लोग करीब छह घंटे तक चर्चा करते रहे, लेकिन सुबह 3 बजे एक टीआई को फोन आया और वहां से जाने का निर्देश मिला। चार बजे तक फोर्स वहां से लौट गई, बावजूद इसके कुछ लोगों को वहीं रुकने कहा गया।
निर्देश था : मकान के बाहर न कोई आए और न कोई जाए
रात 9 बजे गाड़ी से उतरने के बाद पांचों टीआई ने टीम को खड़ा कराया। फिर उन्हें 15 मिनट तक ब्रीफ किया गया। वहां अधिकारी और सिपाही समेत 25 लोग मौजूद थे। फोर्स को निर्देश दिया गया कि कोई बंगले में न आएगा और ना ही बाहर जाएगा। बंगले के चारों ओर निगरानी रखनी है। अगर बंगले से कुछ भी चीज बाहर आती है, तो उसकी जांच करनी है। ध्यान देना है कि कोई बंगले में कुछ छोड़ने या फेंकने की कोशिश तो नहीं कर रहा है। हर किसी को एलर्ट रहना है। आगे क्या करना है, ये वरिष्ठ अधिकारी खुद आकर बताएंगे। कोई भी अपनी जगह नहीं छोड़ेगा। उसके बाद टीम बंगले के चारों ओर फैल गई।
आज होगी लॉकरों की जांच
एडीजी जीपी सिंह के घर पर मिले दस्तावेजों व बैंक खातों की जांच में आधा दर्जन लॉकर होने का खुलासा हुआ है। ये लॉकर अलग-अलग कई बैंकों में है। सोमवार को एंटी करप्शन ब्यूरो के अधिकारी इन लॉकर की जांच करेंगे। अधिकारियों को उम्मीद है कि लॉकर में सोने-चांदी के साथ कुछ जरूरी दस्तावेज भी मिल सकते हैं। इसके अलावा सभी बैंक खातों को सीज करने के लिए भी एसीबी की ओर से बैंक प्रबंधन को पत्र लिखा जाएगा।
एडीजी का एक एचयूएफ का भी लॉकर मिला है। उनके कुछ करीबियों के नाम से प्रॉपर्टी का दस्तावेज मिला है। इसमें दो फार्महाउस भी बताया जा रहा है। एडीजी के यहां डेढ़ दर्जन से ज्यादा लैपटॉप और कंप्यूटर सिस्टम मिला है। उनकी सायबर एक्सपर्ट के माध्यम से जांच की जा रही है। एडीजी के अधिकारियों मुताबिक कई ऐसे दस्तावेज मिला है, जिससे साबित होता है कि एडीजी काले धन को एक नंबर करते थे। अपने रसूखदार मित्रों के माध्यम से उन पैसों को निवेश करते थे।
एसीबी-रायपुर पुलिस के अधिकारी शनिवार की रात 9 से 3 बजे तक बैठे रहे, फोन घनघनाते रहे
सिविल लाइन कंट्रोल रूम स्थित नई बिल्डिंग में शनिवार की रात 10 बजे हाईलेवल की बैठक बुलाई गई। सबसे पहले एसीबी के अधिकारी वहां पहुंचे। उसके बाद रायपुर पुलिस के चार अधिकारी वहां पहुंचे। बैठक शुरू हुई। रायपुर रेंज के वरिष्ठ अधिकारी इसे लीड कर रहे थे। सूत्रों के अनुसार एडीजी सिंह पर एसीबी में दर्ज मामले के अलावा रायपुर पुलिस में केस दर्ज करने पर मंथन किया जा रहा था।
एडीजी सिंह के बंगले की जांच के दौरान एसीबी को अहम जानकारी और दस्तावेज मिले हैं, जिसमें नया केस दर्ज किया जा सकता है। अधिकारी नया केस दर्ज करने पर आने वाली कानूनी बाधाओं और कार्रवाई को लेकर चर्चा कर रहे थे। वे पुरानी गलतियों को दोहराना नहीं चाहते थे। जैसा पहले एक विवादास्पद एडीजी के केस में हुआ था। उनके खिलाफ लगातार केस दर्ज होते रहे, लेकिन कोर्ट से उन्हें स्टे मिल गया। इस बार अधिकारी ऐसा नहीं चाहते।
एडीजी को किसी भी मामले में स्टे न मिल सके, ऐसी कार्रवाई करने पर विचार कर रहे थे। मीटिंग के दौरान अधिकारियों के पास लगातार फोन भी आ रहे थे। इस फोन में केस की स्थिति को लेकर जानकारी मांगी जा रही थी। रेंज के वरिष्ठ अधिकारी फोन पर किसी को ब्रीफ कर रहे थे। इस दौरान कानून के जानकारों से भी सलाह ली जा रही थी। इस दौरान कुछ अधिकारी मीटिंग से बाहर निकलकर रात 11.30 बजे और रात 1.30 बजे एडीजी के बंगले का जायजा लेने गए। उसके बाद वापस मीटिंग में लौट गए। रात 3 बजे अधिकारियों ने नया केस नहीं दर्ज करने का फैसला लिया।