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अगस्त में भारत के हाथों में होगी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की कमान, आतंकवाद पर और तेज होगा प्रहार




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1 अगस्त से एक महीने के लिए भारत के हाथों में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की कमान होगी। भारत 1 अगस्त को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता संभालेगा और इस महीने के दौरान समुद्री सुरक्षा, शांति स्थापना की कवायद करने और आतंकवाद पर कड़ा प्रहार करने को तैयार है। महासभा अध्यक्ष के कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक, भारत के राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने यूएन महासभा प्रमुख को भारत की अध्यक्षता के दौरान होने वाली मुख्य गतिविधियों से अवगत कराया है। 

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने अध्यक्षता संभालने की पूर्व संध्या पर एक वीडियो संदेश में कहा कि जब हम अगस्त में अपना 75 वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं, उसी महीने सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता करना हमारे लिए एक सम्मान की बात है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद  में बतौर अध्यक्ष भारत का पहला कार्य दिवस सोमवार यानी 2 अगस्त होगा। तिरुमूर्ति संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में महीने भर के लिए परिषद के कार्य को लेकर कार्यक्रम पर प्रेस वार्ता करेंगे।

संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी एक कार्यक्रम के अनुसार, तिरुमूर्ति संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के लिए एक ब्रीफिंग भी प्रदान करेंगे, जो महीने के लिए परिषद के गैर-सदस्य हैं। बता दें कि सुरक्षा परिषद के एक अस्थायी सदस्य के रूप में भारत का दो साल का कार्यकाल 1 जनवरी, 2021 को शुरू हुआ।  यह सुरक्षा परिषद के गैर स्थायी सदस्य के तौर पर 2021-22 कार्यकाल के दौरान भारत की पहली अध्यक्षता है। भारत अगले साल दिसंबर में फिर से सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता करेगा।

अपनी अध्यक्षता के दौरान भारत समुद्री सुरक्षा, शांति रक्षा और आतंकवाद को रोकने जैसे विषयों पर ध्यान देगा तथा इन मुद्दों पर उच्च स्तरीय कार्यक्रमों की अध्यक्षता करेगा और ठोस रणनीति बनाने पर जोर देगा। तिरुमूर्ति ने कहा कि भारत परिषद के भीतर और बाहर दोनों जगह आतंकवाद से लड़ने पर जोर देता रहा है। हमने आतंकवाद से लड़ने के प्रयासों को न केवल मजबूत किया है खासतौर से आतंकवाद के वित्त पोषण को, बल्कि हमने आतंकवाद पर ध्यान को कमजोर करने की कोशिशों को भी रोका है। 

इस साल की शुरुआत में भारत ने कहा था कि इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड द लेवांत (आईएसआईएल) पर महासचिव की रिपोर्ट में आईएसआईएल तथा अल कायदा के तहत आने वाले प्रतिबंधित संगठन मसलन लश्कर-ए-तैयबा और अन्य पाकिस्तानी आतंकवादी समूह मसलन जैश-ए-मोहम्मद की गतिविधियां भी शामिल होनी चाहिए। आतंकवाद से संबंधित मुद्दों पर हाल के महीनों में भारत की भूमिका पर जोर देते हुए तिरुमूर्ति ने कहा कि वैश्विक आतंकवाद रोधी रणनीति पर भारत ने इस रणनीति के अंतिम परिणाम को आकार देने में अत्यधिक सक्रिय भूमिका निभायी।