केंद्र सरकार ओबीसी की सूची पर राज्यों की शक्ति बहाल करने को लेकर कानून बनाने पर विचार कर रही है। इसके लिए संसद के मौजूदा सत्र में ही 127वां संविधान संशोधन विधेयक लाया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल 5 मई को मराठा आरक्षण को लेकर दिए एक फैसले में राज्यों सरकारों से ओबीसी की पहचान करने और उन्हें अधिसूचित करने का अधिकार वापस ले लिया था।
ईटी की खबर के मुताबिक, एक बार संसद संविधान के अनुच्छेद 342-ए और 366(26) सी के संशोधन पर मुहर लगा देगी तो इसके बाद राज्यों के पास फिर से ओबीसी सूची में जातियों को अधिसूचित करने का अधिकार होगा। बीते महीने सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की उस रिव्यू याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें सरकार ने कोर्ट के 5 मई के आरक्षण मामले में दिए फैसले पर दोबारा विचार करने को कहा था।
दरअसल, बीते महीने सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 324A की व्याख्या के आधार पर मराठा समुदाय के लिए कोटा को खत्म करने के अपने 5 मई के आदेश के खिलाफ केंद्र की समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के लिए 2018 में संविधान में 102वें संशोधन के माध्यम से अनुच्छेद 324A लाया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने तीन-दो के बहुमत से 102वें संशोधन को सही ठहराया था। बहुमत से 102वें संविधान संशोधन को वैध करार दिया मगर कोर्ट ने कहा कि राज्य सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग (एसईबीसी) की लिस्ट तय नहीं कर सकती। बल्कि केवल राष्ट्रपति उस लिस्ट को नोटिफाई कर सकते हैं।
पांच मई को मराठा आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया था। सर्वोच्च अदालत ने शिक्षा और नौकरी के क्षेत्र में मराठा आरक्षण को असंवैधानिक करार दिया था। शीर्ष न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि मराठा समुदाय को कोटा के लिए सामाजिक, शैक्षणिक रूप से पिछड़ा घोषित नहीं किया जा सकता है, यह साल 2018 के महाराष्ट्र राज्य कानून समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मराठा आरक्षण 50 फीसदी सीमा का उल्लंघन है।