अमरनाथ हादसे में श्रीगंगानगर के तीन लोगों की मौत हो गई थी। श्रीगंगानगर के रिटायर्ड सीआई सुशील खत्री, अपनी समधी मोहन वधवा और समधन सुनीता वधवा के साथ सैलाब में बह गए थे
अमरनाथ हादसे में जान गंवाने वाले श्रीगंगानगर के तीन लोगों के शव श्रीनगर से एयर लिफ्ट कर दिल्ली लाए गए। इस दौरान सुनीता वधवा की जगह किसी और का शव दिल्ली पहुंच गया। परिजनों ने पहचान कर शव लेने से इंकार कर दिया। कपड़ा व्यापारी मोहन वधवा और उनकी पत्नी सुनीता वधवा के परिजन शव के लिए दिल्ली में इंतजार कर रहे हैं। मोहन वधवा का शव दिल्ली में ही रखा हुआ है। वहीं, हादसे में मारे गए रिटायर्ड सीआई सुनील खत्री का शव सुबह उनके घर पहुंच गया।
बता दें कि अमरनाथ हादसे में श्रीगंगानगर के तीन लोगों की मौत हो गई थी। श्रीगंगानगर के रिटायर्ड सीआई सुशील खत्री, अपनी समधी मोहन वधवा और समधन सुनीता वधवा के साथ सैलाब में बह गए थे। खत्री ने दूसरों को बचाते हुए अपनी जान गंवा दी थी।
शनिवार शाम को तीनों शव श्रीनगर से एयर लिफ्ट कर दिल्ली लाए गए। खत्री और मोहन वधवा के शवों की तो परिजनों ने पहचान कर ली, लेकिन सुनीता की जगह किसी और का ही शव दिल्ली पहुंच गया था। इस कारण परिजनों ने उसे लेने इनकार कर दिया। वधवा परिवार के लोग शव के इंतजार में अभी भी दिल्ली में रुके हुए हैं। सुशील खत्री का शव रविवार सुबह उनके आवास पर पहुंच गया था। उनका अंतिम संस्कार भी कर दिया गया है।
तीन जुलाई को यात्रा पर निकले थे
श्रीगंगानगर के रिटायर्ड सीआई सुशील खत्री (61) बीकानेर के रहने वाले थे। उनकी श्रीगंगानगर में पोस्टिंग थी। बीती 30 जून को ही वह रिटायर्ड हुए थे। अमरनाथ यात्रियों का जत्था तीन जुलाई को श्रीगंगानगर से रवाना हुआ था। इसी जत्थे के साथ सुशील और उनके रिश्तेदार अमरनाथ यात्रा पर निकले थे। अमरनाथ गुफा पर पहुंचने के बाद जत्थे में शामिल यात्रियों ने लंगर में विश्राम किया। उसी दिन शाम को जनसैलाब आया और टेंट बहने लगा। इस दौरान टेंट में सुशील खत्री, उनकी समधन सुनीता और सुनीता के पति मोहनलाल वधवा सहित श्रीगंगानगर के कई लोग मौजूद मौके पर मौजूद थे। रिटायर्ड सीआई खत्री ने अंतिम समय तक अपना फर्ज निभाया। उन्होंने सैलाब में बहते लोगों को बचाया। इसी दौरान वह खुद भी बह गए। हादसे में सुनीता और उनके पति मोहनलाल की भी मौत हो गई थी।