इस पासपोर्ट इंडेक्स (Passport Index) में 17 सालों का डेटा प्रयोग किया जाता है. इससे अमीर व्यक्तियों और सरकारों को उनकी नागरिकता का मूल्यांकन पासपोर्ट के वीज़ा फ्री (Visa Free) या वीजा ऑन अराइवल (Visa On Arrival) प्रस्तावों से पता चलता है.
(corona) से उबर रही दुनिया में जापान (Japan), सिंगापुर (Singapore) और साउथ कोरिया (South Korea) का पासपोर्ट सबसे शक्तिशाली पासपोर्ट के तौर पर उबरा है. कोरोना महामारी से पहले दुनिया में सबसे शक्तिशाली पासपोर्ट की रैंकिंग में यूरोपीय देश आगे रहते थे. ब्लूमबर्ग के अनुसार, जापानी पासपोर्ट धारक बिना किसी परेशानी के 193 देशों में जा सकते हैं, यह आंकड़ा सिंगापुर और साउथ कोरिया से एक अधिक है. इमीग्रेशन कन्सल्टेंसी हेनले एंड पार्टनर्स की हेनले पासपोर्ट इंडेक्स में यह नई रैंकिंग जारी की गई है.
रूसी यात्रा दस्तावेज़ 50वें स्थान पर हैं और इनसे 119 देशों में आसानी से एंट्री मिल सकती है. चीन का स्थान 69वां हैं जिनसे 80 देशों में आसान एक्सेस है. जबकि भारत का स्थान 87वां और अफगानिस्तान के पासपोर्ट इस सूचि में आखिरी स्थान पर है. अफगान पासपोर्ट धारक को केवल 27 देशों में आसान मदद मिलेगी.
हेनले एंड पार्टनर्स के चेयरमैन क्रिश्चियन केईलिन ने एक विज्ञप्ति में कहा, ” यात्रा की आजादी की वापसी और हमारी आने-जाने और माइग्रेट करने की इच्छा को लौटने में अभी वक्त लगेगा.”
साल 2017 में एशियाई देश दुनिया के 10 सबसे अधिक स्वीकारे जाने वाले पासपोर्ट में कम ही जगह बनाते थे. ताजा रैंकिंग के अनुसार, यूरोप का दबदबा कम हुआ है और जर्मनी अब साउथ कोरिया के पीछे है. इसमें ब्रिटेन छठे स्थान पर है और ब्रिटिश पासपोर्ट से 187 देशों में जाया जा सकता है. जबकि अमेरिका इस लिस्ट में सातवें स्थान पर है और अमेरिकी पासपोर्ट से केवल 186 देशों में आसानी से जाया जा सकता है.
इस इंडेक्स में 17 सालों का डेटा प्रयोग किया जाता है. इससे अमीर व्यक्तियों और सरकारों को उनकी नागरिकता का मूल्यांकन पासपोर्ट के वीज़ा फ्री (Visa Free) या वीजा ऑन अराइवल (Visa On Arrival) प्रस्तावों से पता चलता है. अभी भी वैश्विक यात्रा की कोरोना प्रतिबंधों से पूरी तरह से रिकवरी नहीं हुई है.