जांजगीर-चांपा विधानसभा सीट को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही है । पहले चार दावेदारों के नाम सामने आए अब कांग्रेस के टिकट लगभग तय हो गए हैं। जिनमें से दो दावेदार बाहर हो गए हैं । अब बच्चे दावेदारों में पूर्व विधायक मोतीलाल देवांगन और जयजयपुर के पूर्व विधायक महंत राम सुंदर दास के बीच टिकट का फैसला होगा । राजनीतिक समीकरण की अगर बात करें तो लंबे समय से मोतीलाल देवांगन चांपा विधानसभा क्षेत्र में शुरू से लेकर अंत तक सर्कीय रहे हैं, और उनकी टीम पूरे सिद्धार्थ के साथ चाहे कांग्रेस सत्ता में हो या फिर ना हो काम करती रही है। इस बीच चांपा विधानसभा के अन्य दावेदार विधानसभा चुनाव के समय काफी सक्रिय हो जाते हैं ,महीना दो महीना उनकी सक्रियता शबाब पर रहती है। दावेदारी और विधानसभा चुनाव के समय ताल ठोकी Inch जाती है, मगर ऐसी टीम नहीं जो अपने प्रत्याशियों को जीताकर कांग्रेस को जीत दिला दे।
क्यों फंसा है पेंच…
कांग्रेस एक एक विधानसभा में नापतोल कर अपने उम्मीदवारों का चयन कर रही है ,और चांपा विधानसभा सीट भी ऐसी सीट है जहां नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल को टक्कर देने वाले प्रत्याशियों में मोतीलाल देवांगन का नाम पहले आता है, क्योंकि उन्हें पहले भी हार चुके हैं। वहीं राम सुंदरदासकी दावेदारी तो मानी जा रही है मगर रायपुर दक्षिण से भी उनका नाम चल रहा है । बीजेपी को कोई टक्कर दे सकता है तो सिर्फ और सिर्फ मोतीलाल देवांगन है। वर्तमान चुनाव में बिना संसाधन के जीत लगभग नहीं के बराबर है।
एक…नेता का सब मगर वो किसके …? ..
चार दावेदारों में एक दावेदार ऐसा है जो सभी नेता को अपना नेता बताता है ,मगर वह किसके हैं इसका आज तक 35 साल की राजनीति में पता नहीं चला । प्रदेश के मुखिया कोई भी हो वह अपने आप को साबित करते हैं….. एक नेता ऐसा दावेदार है जिसकी सक्रियता रहती है मगर बड़े नेता टिकट वितरण के दौरान साथ नहीं देते हाथ खींच लेते हैं। संगठन और सत्ता के लिए जी तोड़ मेहनत करते हैं मगर किस्मत साथ नहीं देता….. एक नेता ऐसा भी जो सक्रियता दंभ भरते हैं मगर जीत के दावों से काफी परे हैं ।
जागरुक है मतदाता…
जांजगीर चंपा विधानसभा के जनता काफी जागरूक माने जाते हैं ,और उनकी जागरूकता का प्रमाण है कि आज तक किसी दूसरे दल से आए व्यक्ति को ना तो जीत दिलाया है ना ही रिपीट किया है….दल बदल की राजनीति के लिए मतदाताओं ने कभी गेप नहीं दिया ….