रायपुर: राष्ट्रीय पशु अधिकार दिवस पर जानवरों के सम्मान में वीगंस ऑफ छत्तीसगढ़ का शानदार श्रद्धांजलि कार्यकर्म।
वीगंस ऑफ छत्तीसगढ़ और अवर प्लैनेट देयर्स टू के सहयोग द्वारा रायपुर में रविवार, 02 जून को 14वें राष्ट्रीय पशु अधिकार दिवस (नेशनल एनिमल राइट्स डे) के अवसर पर, इंसानो द्वारा मारे गए पशुओं की याद में एक श्रद्धांजलि कार्यकर्म आयोजित किया गया। दुनिया भर के 150 से अधिक प्रमुख शहरों में यह कार्यकर्म एक साथ आयोजित हुआ। इस श्रद्धांजलि में स्थानीय पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने, अपने मृतक पशु भाई बहेनो को याद किया और जनता को जानवरों के प्रति हमारे समाज के क्रूर व्यवहार और हर साल इंसानो द्वारा दुनिया भर में भोजन, खाल, प्रयोगशाला परीक्षण और मनोरंजन के लिए मारे जाने वाले अरबों जानवरों की पीड़ा, भय और दर्द को प्रत्यक्ष रूप से दर्शाया।
इस आश्चर्यजनक प्रदर्शन में, मानव दुर्व्यवहार और शोषण के परिणामस्वरूप मरने वाले अरबों जानवरों को सम्मानित और याद किया गया और उनकी तस्वीरों को फूलों से सजा कर मोमबत्तियाँ जलायीं गयी। कई चित्र, जिनमें मुर्गियां, भैंस, बकरी, मछली और कई अन्य जीव शामिल हैं, को कार्यकर्ताओं द्वारा एक मेमोरियल के रूप में पर व्यवस्थित किया गया।
वीगंस ऑफ़ छत्तीसगढ़ की डॉ किरण आहूजा बताती हैं की ‘येह बेहद परेशान करने वाली बात है की हर साल सिर्फ 8 बिलियन इंसानो के भोजन मात्र के लिए 92. 2 बिलियन पशुओं को मारा जाता है’. वीगंस ऑफ़ छत्तीसगढ़ की अनंदिता दत्ता कहती हैं ‘सभी जीव आपकी और मेरी तरह पीड़ा से मुक्त रहना चाहते हैं और इंसानो को अब पशुओं को बक्श देना चाहिए और एक बीगन और क्रूरता मुक्त जीवनशैली अपनानी चाहिए। वीगन जीवनशैली अपनाने वाला हर व्यक्ति, प्रति वर्ष लगभग 200 जानवरों को अत्यधिक पीड़ा और भयानक मृत्यु से बचाता है।
फ़ैक्टरी फ़ार्मों पर मुर्गियों को हज़ारों की संख्या में भीड़-भाड़ वाले शेडों में पैक किया जाता है, जहां उन्हें जमा कचरे के बीच अमोनिया की दुर्गंध में जबरन खड़ा होने के लिए बाध्य किया जाता है। उन्हें हर उस चीज़ से वंचित कर दिया जाता है जो उनके लिए प्राकृतिक रूप से महत्वपूर्ण है। भोजन के लिए मारी जाने वाली मुर्गियों और अन्य जानवरों को वाहनों में भरकर इतनी अधिक संख्या में बूचड़खानों में ले जाया जाता है कि कई जानवरों की हड्डियाँ टूट जाती हैं, दम घुट जाता है, या रास्ते में ही मृत्यु हो जाती हैं। बूचड़खानों में मजदूर अक्सर बकरियों, भेड़ों और अन्य जानवरों का गला कम धार वाले ब्लेडों से काट देते हैं। साथ ही, मछली पकड़ने वाली नौकाओं के डेक पर जीवित रहते हुए भी मछलियाँ का गला चीर दिया जाता हैं।
समारोह के बाद, प्रतिभागी मृतक पशुओं के चित्रों और बैनर्स को लेकर एक मोर्चा निकला, जिसमें रायपुर के मनुष्यों से क्रूरता-मुक्त जीवनशैली अपनाकर और वीगन बनकर जानवरों की पीड़ा को समाप्त करने की अपील की गयी। और अंत में एक पशु अधिकार घोषणा पत्र पर सभी एक्टिविस्ट ने हस्ताक्षर किये।