भाषाई कलंक को मिटाने गृहमंत्री का अभूतपूर्व पहल स्वागतेय… चितरंजय पटेल, अधिवक्ता
देश में भारतीय जनता पार्टी सरकार के हैट्रिक के बाद राष्ट्रवाद की लहर छत्तीसगढ़ में भी नजर आनी शुरू हो गई है। संपूर्ण देश में जहां एक जुलाई से 1896 के अंग्रेजी कानून में बदलाव किया जाकर नवीन भारतीय कानून प्रचलन में नजर आएगा तो वहीं छत्तीसगढ़ शासन पुलिस विभाग में जल्द ही उर्दू और फारसी के स्थान पर मातृभाषा हिंदी का उपयोग किया जाएगा।
विदित हो कि छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री विजय शर्मा ने अपर सचिव, गृह विभाग को उक्त आशय का पत्र जारी कर पुलिस विभाग में उर्दू और फारसी शब्दों के स्थान पर मातृभाषा हिंदी का उपयोग सुनिश्चित करने का आदेश दिया है जिससे आम लोगों को पुलिस की भाषा समझने में आसानी होगी।
इस संबंध में अशासकीय विद्यालय प्रबंधक कल्याण संघ के प्रदेश अध्यक्ष एवम उच्च न्यायालय अधिवक्ता चितरंजय पटेल ने बताया कि देश में अंग्रेजी कानून के साथ ही पुलिस विभाग के कार्यप्रणाली में उर्दू और फारसी के क्लीष्ठ शब्दों का इस्तेमाल लगातार आजादी के बाद भी होते रहा है जिससे यदा_कदा गुलामी का अहसास भारतीय मानस के मन में बना हुआ है क्योंकि आजादी के पहले मुगलकालीन और पश्चात ब्रिटिशकालीन शासकों ने भारतीय भाषाओं और मूल्यों को आघात पहुंचा कर पाश्चात्य संस्कृति लादने का प्रयास किया जो आजादी के बाद भी हमारे माथे पर कलंक की तरह चिपका हुआ है जिसे दूर करने राष्ट्रवादी भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार के नुमाइंदों ने पहले अंग्रेजी कानून को बदला तो वहीं छत्तीसगढ़ के भाजपा सरकार के मंत्री विजय शर्मा भाषाई कलंक को मिटाने अभूतपूर्व पहल किया है जिसका तहेदिल से स्वागत किया जाना चाहिए।
अधिवक्ता चितरंजय पटेल ने इस पहल के लिए विजय शर्मा के प्रति साधुवाद प्रगट करते हुए जल्द से जल्द उर्दू और फारसी के स्थान पर हिंदी का उपयोग सुनिश्चित करने का उनसे आग्रह किया है साथ ही भारत सरकार से आग्रह किया है कि देश के उच्च और उच्चतम न्यायालय में भी कामकाज की भाषा के रूप में मातृभाषा हिंदी का उपयोग सुनिश्चित किया जावे क्योंकि स्वाभाविक रुप से हर व्यक्ति चाहे वह न्यायाधीश या वकील हो अपनी मातृभाषा में बातों को बेहतर ढंग से समझ और समझा सकता है इसलिए इस दिशा में केंद्र सरकार को शीघ्र और समोचित पहल करना चाहिए ।