डीपीएस स्कूल की बच्ची के साथ नहीं हुआ है कोई घिनौनी हरकत… पुलिस अधीक्षक जितेंद्र शुक्ला… मामले को लेकर एसपी से मिलने की बात बेबुनियाद और निराधार है….. डीपीएस प्रबंधन के खिलाफ फूटा पालको का गुस्सा….
भिलाई नगर 02 अगस्त 2024:-: दिल्ली पब्लिक स्कूल रिसाली में बच्ची के साथ तथाकथित यौन शोषण के मामले में दुर्ग एसपी जितेन्द्र शुक्ला ने मीडिया से बात की है। जितेन्द्र शुक्ला ने बताया कि बच्ची से किसी प्रकार का यौन शोषण नहीं हुआ है। डीपीएस के खिलाफ दुष्प्रचार किया जा रहा है। पुलिस ने शिकायत मिलने के बाद से पूरे मामले की गंभीरता से जांच की और बच्ची से छेड़छाड़ जैसा कुछ भी नहीं मिला है।
एसपी जितेन्द्र शुक्ला ने डीपीएस रिसाली के ताजा मामले में अपनी बात रखी है। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से मामले में विवाद उत्पन्न किया जा रहा है वैसा कुछ नहीं है। अगर किसी छात्रा के साथ कुछ गलत हुआ रहता तो पुलिस के पास शिकायत पहुंची होती। उन्होंने कहा कि अगर किसी के पास मामले से जुड़ा कोई साक्ष्य है तो पुलिस के सामने ला सकता
इसके आधार पर जांच कर आगे की कार्रवाई की जाएगी। श्री शुक्ला ने यह भी कहा कि बात का बतंगड़ बनाकर शहर की आबो- हवा को खराब करना उचित नहीं है। ऐसा करने वालों के खिलाफ अगर डीपीएस प्रबंधन शिकायत करता है तो कार्रवाई किया जा सकता है। दुर्ग एसपी जितेंद्र शुक्ला ने भी प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से इस पूरी मामले में भ्रामक जानकारी फैलाने वालों के खिलाफ कार्यवाई करने की बात कही। वही डीपीएस स्कूल के प्राचार्य प्रशांत वशिष्ठ ने कहा कि नहीं हुई उनकी स्कूल में कोई घिनौनी हरकत हुए हर जांच के लिए तैयार हैं
भिलाई के मरोदा स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल में पांच वर्षीय बच्ची के साथ कथित लैंगिक छेड़छाड़ के मामले में आज बच्चों के पैरंट्स ने स्कूल प्रबंधन का घेराव कर दिया। वही पेरेंट्स ने इस घटना से जुड़ी जानकारी छुपाने के आरोप प्रबन्धन पर लगाया। इस दौरान सैकड़ों की संख्या में बच्चों के पालक डीपीएस रिसाली पहुंचे थे। इस मामले में स्कूल प्रबंधन ने किसी भी बच्चे के साथ अनाचार या लैंगिग छेड़छाड़ की घटना होने की बात को गलत बताया और परिजनों को घटना की जानकारी दी।
दिल्ली पब्लिक स्कूल मरोदा में पांच साल की बच्ची के साथ अनाचार होने की घटना और इस मामले में प्रबन्धन और पुलिस प्रशासन के द्वारा चुप्पी साधने की खबर शोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रही थी। लेकिन आज आखिर कार परिजनों का आक्रोश स्कूल प्रबंधन पर फुट पड़ा। डीपीएस मरोदा में पढ़ने वाले बच्चों के पैरंट्स ने इस मामले में स्कुल प्रबंधन को घेरने की कोशिश की। स्कूल प्रबंधन पर आरोप लगाया कि बच्चों के साथ इस तरह के दुर्व्यवहार की घटना से स्कूल में बच्चों की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे हैं। वहीं इस तरह के मामले को दबाया जाना गंभीर अपराध है। प्रबंधन को जवाब देना चाहिए। परिजनो ने प्रबंधन से घटना दिनांक की फुटेज भी मांगी। लेकिन प्रबन्धन नें इन्कार कर दिया। उन्होंने बताया की जब लापरवाही नहीं हुई तो उस महिला अटेन्डेंट को क्यों हटाया गया है। जिसके बाद पालकों की ओर से एक कमेटी बनाकर प्रिंसिपल और केजी वन क्लास के टीचर से चर्चा की।
प्राचार्य ने जवाब देते हुए बताया कि स्कूल में इस तरह की कोई
घटना हुई ही नहीं है। बदनाम करने के लिए यह खेल खेला गया है।
एक अधिकारी ने कुछ दिनों पूर्व फोन करके एक एडमिशन के लिए
दबाव बनाया था। बात नहीं मानने के लिए ही कुछ इसी तरह का
गेम खेला गया होगा। जबकि जिस बच्ची के बारे में पूरी कहानी बयां
की जा रही है, उस दिन वह बाथरूम गई नहीं थी। सीसी टीवी कैमरे
में सारी फुटेज कैद है।
- जिस दिन की घटना बताई जा रही है, उस दिन तैनात महिला
कर्मचारी को हटा दिया गया है। स्कूल प्रबंधन की ओर से प्रिंसिपल
प्रशान्त वशिष्ठ ने बताया कि 5 जुलाई को एक खेल के दौरान बच्चे
को उल्टी हुआ था। जिसे साफ करने महिला अटेन्डेंट को भेजा गया
था। इसके बाद उस बच्ची के परिजनों ने स्कूल के टीचरों से सम्पर्क
किया और इसकी जानकारी दे दी गई थी। वहीं प्रिंसिपल प्रशान्त
वशिष्ठ ने यह भी बताया है कि जिले के किसी बड़े एक अधिकारी ने
कुछ दिनों पहले एडमिशन के लिए उन पर दबाव बनाने की कोशिश
की थी। लेकिन उन्होंने उन्हें नियम विरुद्ध एडमिशन से साफ मना
कर दिया था। इसके बाद यह घटना हुई और इस घटना को दूसरा
रूप दे दिया गया। लेकिन प्रिंसिपल ने उस अधिकारी का नाम नहीं
बताया। प्रिंसिपल ने कहा कि इस मामले में अब तक परिजनों ने
किसी प्रकार की शिकायत नहीं की है। हमने परिजनों को पूरी
सीसीटीवी फुटेज दिखाया है पूरी जानकारी दी है। लेकिन फिर भी
अगर किसी भी जांच कमेटी के माध्यम से इसकी जांच करने की बात होगी तो हम उनका सहयोग करेंगे।
दुर्ग पुलिस की ओर से एसपी जितेंद्र शुक्ला का कहना है कि इस
मामले को स्वतः संज्ञान में लेकर पुलिस ने इसमे
आईयूसीएडब्ल्यूनके एडिशनल एसपी के नेतृत्व में जांच टीम गठित
कर इस पूरे मामले की जांच की थी। पुलिस अधीक्षक जितेंद्र
शुक्ला के अनुसार पुलिस ने चूंकि छोटी बच्ची का मैटर था और
पॉक्सो एक्ट का था तो हम इस पर कुछ भी किसी भी प्रकार का
पत्राचार या प्रेस ब्रीफिंग जैसी चीज नहीं कर रहे थे परंतु जो
देखने को मिला कि इसको एस्केलेट कर शहर का माहौल और
बाकी चीजें खराब की जा रही हैं उसके कारण ऐसा लगा कि कुछ
चीजें आधिकारिक रूप से पब्लिक डोमेन में जानी चाहिए और
उसको देखते हुए आज हमने प्रेस ब्रिफिंग की। कल शाम से जो
गार्जियन को बहकाने का और गार्जियन को भड़काने का प्रयास
सोशल मीडिया में चला, उसको देखते हुए हमको लगा कि एक
पुलिस अधीक्षक के नाते मेरी जिम्मेदारी बनती है, उन गार्जियंस के
प्रति कि हम तथ्यों को सामने लाएं क्योंकि अभी तक जो गलत
सोच से उनके पास अनौपचारिक रुप से पहुंच रहा था उस पर
उनके पास कोई आधिकारिक वक्तव्य नहीं थे तो उसको देखते हुए
हमने सोचा कि उस पर आधिकारिक वक्तव्य जारी करें ताकि
गार्जियंस का भरोसा भी बना रहे और उनको यह पता चले कि
एक्जेक्टली हुआ क्या है
पुलिस अधीक्षक ने कहा कि क्योंकि मामला काफी संवेदनशील था
इस वजह से जांच भी बड़ी सूक्ष्मता से की गई पुलिस के अनुसार
किसी प्रकार के बच्चे के साथ लैंगिग छेडछाड या दुराचार का
मामला सामने नहीं आया है। बच्चे और उसने परिजनों की
गोपनीयता बनाये रखने के लिए हमने इसकी गुप्त जांच कराई थी।
मेडिकल रिपोर्ट, डॉक्टरों के बयान, स्कूल टीचर प्रबन्धन और
परिजनों के बयान लिए गए। बारीकी से जांच करने पर इस तरह
का कोई तथ्य सामने नहीं आया जिस पर स्कूल को 4 दिन पहले ही
क्लीन चिट दी गई है। आज पेरेंट्स अपनी कई समस्याओं को
लेकर स्कूल प्रबंधन से बातचीत करने पहुंचे थे। अधिक संख्या में
पेरेंट्स होने कारण आज पुलिस यहां पहुंची है।
दरअसल यह पूरा हंगामा शुक्रवार को तब सामने आया जब कई पैरेंट्स एक साथ दिल्ली पब्लिक स्कूल रिसाली परिसर पहुंचे। पैरेंट्स का कहना है कि एक बच्ची के साथ स्कूल में यौन शोषण हुआ है। पैरेंट्स का कहना है कि घटना 5 जुलाई की है। बच्ची जब घर पहुंची तो काफी डरी हुई थी। इसके बाद परिजन बच्ची को लेकर डॉक्टर के पास गए। पैरेंट्स का कहना है कि डॉक्टर ने यूरिनल इंफेक्शन की बात की है। पैरेंट्स का कहना है कि स्कूल की आया बच्ची को वॉशरूम के पास छोड़कर चली गई इसके बाद उससे यौन शोषण हुआ है। परिजनों ने मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर स्कूल प्रबंधन से शिकायत की थी। पैरेंट्स का आरोप था कि प्रबंधन ने मामले में एफआईआर का भरोसा दिलाया लेकिन मामले को दबा दिया।