Home छत्तीसगढ़ प्रभु के लीला के बगैर ना कोई जन्म ले सकता है ना...

प्रभु के लीला के बगैर ना कोई जन्म ले सकता है ना किसी की मृत्यु हो सकती- आचार्य झम्मन शास्त्री




IMG-20240704-WA0019
IMG-20220701-WA0004
WhatsApp-Image-2022-08-01-at-12.15.40-PM
1658178730682
WhatsApp-Image-2024-08-18-at-1.51.50-PM
WhatsApp-Image-2024-08-18-at-1.51.48-PM

मुंगेली -श्रीमद् भागवत ज्ञान सप्ताह यज्ञ मे आयोजित कार्यक्रम ग्राम भठली जिला मुंगेली छत्तीसगढ द्विवेदी परिवार के द्वारा यह दिव्य भागवत कथा में व्यास स्वरूप व्याख्यान दिवाकर आचार्य झम्मन शास्त्री महाराज के द्वारा प्रथम दिवस की कथा में आचार्य श्री ने बताया कि ज्ञान यज्ञ का उद्देश्य केवल यश पाने के लिए किसी इच्छा के अधीन किया गया धर्म नहीं बल्कि कथा के माध्यम से अंतःकरण को शुद्ध किया जाता है भगवान को पाने की इच्छा हो तो परीक्षित और सुखदेव का संवाद ही सुन ले तो जीवन धन्य हो जाएगा अकाल मृत्यु से बचाने के लिए भागवत कथा का श्रवण अवश्य करें श्रीमद् भागवत कथा के द्वारा महाराजा श्री ने कहा कि प्रभु के लीला के बगैर ना कोई जन्म ले सकता है ना किसी की मृत्यु हो सकती है सभी कालचक्र में ईश्वर की सहमति विद्यमान रहती है आकृतार्थ जीवात्मा को पुनर्जन्म लेना पड़ता है इसलिए 24 घंटे में काम से कम सवा घंटा प्रभु की स्तुति भजन कीर्तन के माध्यम से करना चाहिए ।जीवन का उद्देश्य ईश्वर को पन है न कि केवल धन वैभव और जीवकोपार्जन में लगे रहना महाराज श्री ने कहा कि पार्टी और सरकार परोपकार के लिए है न की स्वहित के लिए देश में लोग गौ माता के चारागाह पर भी कब्जा करने से बाज नहीं आ रहे हैं माता को संरक्षित करने के लिए कोई तैयारी किसी सरकार की नहीं दिखती तो शुद्ध दूध घी दही और मक्खन कहां से मिलेगा। भागवत कथा के दौरान शामिल होने वाले खास कर युवा नहीं आते जबकि श्री राम कथा और भागवत कथा का उद्देश्य भटकते युवाओं को ग्रंथ के माध्यम से धर्म से जोड़ना है इसीलिए हर घर में एक युवा को ऐसे ही कथाओं में शामिल होना चाहिए उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ पूर्ण भूमि है या भगवान श्री राम का ननिहाल है। यही कारण है । कि तमाम प्रकृति आपदाओं से छत्तीसगढ़ का प्रभावित रहता है तथा आज धरती माता को 104 डिग्री का बुखार सता रहा है ग्लोबल वार्मिंग से ग्लेशियर पिघल रहे हैं समुद्र की जलधारा बढ़ रही है। मानव विकास के चक्कर में प्रकृति से छेड़छाड़ कर रहा है। भगवान मनु और शत्रुरूपा पर वंशज का जीवन खतरे में है। इसलिए सनातन धर्म में साइंस को भावनात्मक प्रकल्पता से जोड़े तब जाकर सनातन धर्म आपकी रक्षाकरेगा।