रायपुर। जिले की तंग गलियों में बदमाशी करने वाले शरारती तत्वों पर अब पुलिस के पहले वहीं रहने वाली महिलाएं तंज कसेंगी। बतौर पुलिस कमांडों के रूप में बदमाशों को आड़े हाथ लेकर कानून व्यवस्था संभालने के लिए अपनी भूमिकाएं बांधेंगी।
नए पुलिस कप्तान ने बालोद की तर्ज पर रायपुर शहर में महिला कमांडो बनाने की रणनीति तैयार की है। 15 से 20 हजार युवतियों व महिलाओं को महिला रक्षक दल से जोड़कर सुरक्षा का नया सिस्टम तैयार किया जाएगा। किसी भी परिवार से बालिग बेटियां अपनी मां के साथ और बहू अपनी सास के साथ मिलकर सुरक्षा गश्त में पुलिस संग शामिल हो सकेंगी। सुरक्षा के लिहाज से पुलिस इन्हें महिला कमांडो का नाम देगी।
किसी भी तरह की अप्रिय वारदात होने पर सीधे वर्दीवालों से संवाद कर सकेंगे। फौरन इस पर कार्रवाई होगी। तंग गलियों से लेकर शहर की मुख्य संवेदनशील जगहों में ज्यादा से ज्यादा पुलिस सहयोगी यूनिट बनाई जाएंगी। महिला सुरक्षा दल में एएसपी, डीएसपी रैंक के अफसरों के लिए संवेदनशील जगहों में सहायता समूहों से सदस्य सुरक्षा दल से जोड़ने की जिम्मेदारी तय होगी।
2016 में बालोद हुआ सफल
एसएसपी आरिफ शेख ने बालोद में रहते हुए 2016 में पहली बार इस तरह का प्रयोग किया था, जिसमें स्लम हिस्सों से महिलाओं व युवतियों को महिला रक्षक दल के साथ जोड़ा गया। इसके बाद पूरे प्रदेश में यह कॉन्सेप्ट अपनाया गया। पुलिस रिकॉर्ड में 14 जिलों में तकरीबन 45 हजार महिला कमांडों सुरक्षा के लिए अपनी भूमिका बांध रहे हैं।
महिला कमांडों ऐसे बनाएगी सुरक्षा का माहौल
- अड्डेबाजी बढ़ने पर सोशल मीडिया के जरिए सीधे पुलिस को त्वरित सूचना दे सकेंगी।
- पुलिस हेल्प लाइन नंबर जारी करेगी। थानेवार समितियों से कमांडो का चयन कर संपर्क तय होगा।
- महिला संबंधी अपराध होने पर सूचना देने की तय करेंगे जवाबदारी, समझाइश देने पहुंचा रक्षा दल।
- पुलिस के अवेयरनेंस कार्यक्रमों का हिस्सा बनकर लोगों के बीच सुरक्षा संबंधी संदेश पहुंचाने उठा सकेंगे जिम्मा।
- महिला पुलिस की रक्षा यूनिट दिन ही नहीं बल्कि शाम व रात में जरूरत के वक्त संवेदनशील जगहों में होगी हाजिरी।