1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद पहली बार भारतीय लड़ाकू विमानों ने पाकिस्तानी सीमा में प्रवेश कर बालाकोट और पीओके के दो अन्य इलाकों मुजफ्फराबाद और चिकोटी पर हमला किया है. पुलवामा आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवानों के शहीद होने के 12 दिनों के बाद भारत ने बदला लिया. इस सर्जिकल स्ट्राइक 2.0 के दौरान एक दर्जन भारतीय मिराज-2000 (Mirage 2000) फाइटर प्लेन का प्रयोग किया गया. इस हमले में करीब 1000 किलो लेजर-गाइडेड बमों को जैश के नियंत्रण वाले इलाकों में गिराया गया है. आइए जानतें है पाकिस्तान स्थित आतंकी कैंपों पर हमला करने वाले मिराज 2000 की खासियत-
मिराज जेट की खासियत- मल्टी-रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट मिराज 2000 का निर्माण फ्रांस की दसॉ कंपनी ने किया है. बता दें कि दसॉ ने ही राफेल फाइटर प्लेन को तैयार किया है जिसे भारत ने खरीदा है. इंडियन एयरफोर्स के बेड़े में शामिल मिराज- 2000 (Mirage 2000) डीप पेनिट्रेशन स्ट्राइक एयरक्राफ्ट यानी लड़ाकू विमान है. यह अंदर तक घुसकर मार करने वाला विमान है और इसकी खास बात यह है कि ये भीतर तक जाकर टारगेट को ध्वस्त करने की क्षमता रखता है. फिलहाल 600 से ज्यादा मिराज 2000 का निर्माण हुआ है और यह नौ देशों में सेवा दे रहा है.
मिराज 2000 एयर टू सर्फेस मिसाइल भी कैरी कर सकता है. ये वो मिसाइल जो हवा से जमीन पर मार कर सकती हैं. मिराज में 9 हार्ड पॉइंट होते हैं. यानी 9 पॉइंट्स पर हथियार ले जा सकता है. एक और बड़ी खास बात यह है कि मिराज को रडार भी आसानी से पकड़ नही सकता है. ये विमान 80 के दशक में फ्रांस से खरीदे गए थे और हाल ही में भारतीय सेना ने इन्हें अपग्रेड किया था.
अक्टूबर 1982 में भारत ने 36 सिंगल सीटर सिलेंडर मिराज 2000 एचएस और 4 ट्वीन सीटर मिराज 2000 टीएसएस का ऑर्डर दिया था. बदा दें कि इन दोनों नाम में ‘एच’ शब्द हिंदुस्तान को संबोधित करता है. यह विमान बड़े-बड़े रॉकेट्स और मिसाल के परिवहन में सक्षम है. मिराज 2000 का डिजाइन इस तरह से किया गया है कि बहुत ही सक्षम और प्रभावी तरीके से दुश्मन को अधिक से अधिक नुकसान पहुंचाया जा सकता है.
लड़ाकू विमान मिराज 2000 की कीमत 161 करोड़ रुपये यानी 2.3 करोड़ डॉलर है. मिराज की अधिकतम रफ्तार 2530 किलोमीटर प्रति घंटा है. इसकी उड़ान रेंज 3335 किलोमीटर है.