Home अन्य क्‍या आप उसकी कहानी जानते हैं, जिस अटारी-वाघा बॉर्डर से भारत लौटेंगे...

क्‍या आप उसकी कहानी जानते हैं, जिस अटारी-वाघा बॉर्डर से भारत लौटेंगे विंग कमांडर अभिनंदन




IMG-20240704-WA0019
IMG-20220701-WA0004
WhatsApp-Image-2022-08-01-at-12.15.40-PM
1658178730682
WhatsApp-Image-2024-08-18-at-1.51.50-PM
WhatsApp-Image-2024-08-18-at-1.51.48-PM

आज भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्थमान को पाकिस्‍तान की तरफ से रिहा किया जाएगा और वह वाघा बॉर्डर के जरिये भारत लौटेंगे. अभिनंदन का विमान बीते बुधवार को उस वक्‍त पाकिस्‍तानी सीमा में दुर्घटनाग्रस्‍त हो गया था, जब वह पाकिस्‍तानी जेटों को खदेड़ रहे थे. इसके बाद उन्‍हें वहां हिरासत में ले लिया गया था. अभिनंदन के स्‍वदेश लौटने को लेकर अटारी-वाघा बॉर्डर पर जोरदार तैयारियां की गई हैं. अभिनंदन जिस अटारी-वाघा बॉर्डर के जरिये भारत में प्रवेश करेंगे, उसका इतिहास भी अपने आप में रोचक है. आइये इसके बारे में जानते हैं…

वाघा भारत के अमृतसर और पाकिस्तान के लाहौर के बीच ग्रैंड ट्रंक रोड पर स्थित एक गांव है. यहां से दोनों देशों की सीमा गुजरती है. भारत और पाकिस्तान के बीच सड़क मार्ग से सीमा पार करने का यही एकमात्र निर्धारित स्थान है. यह स्थान अमृतसर से 32 किलोमीटर और लाहौर से 22 किमी दूरी पर स्थित है.

दरअसल, अटारी-वाघा बॉर्डर पर जहां लोग बीएसएफ और पाक रेंजर्स की रिट्रीट सेरेमनी देखने रोजाना पहुंचते हैं, वहां 1947 तक ऐसा कुछ भी नहीं था. 14-15 अगस्त 1947 की मध्य रात्रि को जब देश का बंटवारा हुआ तो भारत का एक हिस्‍सा पाकिस्तान के रूप में अलग हो गया और लकीर खींच गई.

इसके बाद अटारी गांव भारत का और उससे सटा गांव वाघा पाकिस्तान का हिस्सा हो गया. यहां से गुजरने वाली ग्रांड ट्रंक रोड पर निशानदेही कर दी गई. इसके बाद पाकिस्तान ने अपनी तरफ बांस का पोल लगा दिया तो भारत की तरफ से अपना झंडा लगा दिया. यहां भारत की तरफ से एक किनारे पर छोटा से गेट लगाया गया और दोनों देशों के झंडे एक बड़े खंभे पर लगा दिए गया. हालांकि इस दौरान दोनों तरफ आने-जाने वालों से पूछताछ की जाती थी.

यहां साल 1958 में एक छोटी-सी पुलिस चौकी बनाई गई, जोकि यहां आज भी मौजूद है. यहां पुलिस हर आने-जाने वाले से पूछताछ करती थी. 1965 में बीएसएफ की स्थापना के साथ ही यहां की जिम्मेदारी इस बल को सौंप दी गई, जिसके बाद यहां रिट्रीट का सिलसिला शुरू किया गया.

1990 के दशक में यहां लगे गेट को और बड़ा कर दिया गया. 1998 में पंजाब में काफी आतंकवाद के फैल गया. इसके बाद पूरी बॉर्डर पर फेंसिंग लगा दी गई. वर्ष 2001 में यहां पर दर्शक गैलरी बनाई गई, जहां पर हजारों लोग रिट्रीट देखते हैं.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here