इंदौर। जाली अंकसूचियों से लाइसेंस बनाने वाले गिरोह ने अधिकारियों के करीबी दलाल का नाम कबूल किया है। वह पकड़े गए दलालों से रिश्वत लेकर अधिकारियों से आदेश करवाता था। पुलिस ने शुक्रवार को उसकी तलाश में आरटीओ कार्यालय और अन्य जगहों पर छापे मारे। आरटीओ कार्यालय से करीब 500 लाइसेंसों का रिकॉर्ड भी जब्त कर लिया है। कार्रवाई के डर से बाबुओं के एवजी व संदेही दलाल मोबाइल फोन बंद कर फरार हो गए। आरोपितों से इंफाल (मणिपुर) डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर और सहायक आयुक्त आदिवासी विकास, धार की सील भी मिली है।
एएसपी (पूर्व) प्रशांत चौबे के अनुसार पुलिस ने आरोपित दलाल अर्पित अग्रवाल निवासी मयूरनगर, विकास गौड़ निवासी गवली पलासिया, प्रेमसागर शर्मा निवासी स्कीम-78, नजीर खान निवासी स्वर्णबाग कॉलोनी, भोला उर्फ मनोज राजोले निवासी दुधिया और रईस खान निवासी सिमरोल को शुक्रवार दोपहर कोर्ट में पेश कर 5 मार्च तक रिमांड पर ले लिया।
पूछताछ में आरोपितों ने बताया कि तीन साल से जाली अंकसूचियां लगा कर वे हैवी व्हीकल लाइसेंस बनवा रहे थे। एक लाइसेंस के 8 हजार रुपए लेते थे। आरटीओ कार्यालय में अधिकारियों ने हेमंत शर्मा को लाइसेंस का ठेका दे रखा था। सभी दलाल औपचारिकता पूरी कर हेमंत को फाइल और रुपए सौंप देते थे। हेमंत एआरटीओ हृदयेश यादव से आदेश करवा कर स्मार्ट चिप कंपनी को सौंप देता था। पुलिस ने हेमंत की तलाश में दबिश दी, लेकिन वह भाग गया। दोपहर को स्मार्ट चिप कंपनी के कर्मचारी करण को हिरासत में ले लिया। शक है कि करण को जाली अंकसूचियों और टीआई के जाली साइन की जानकारी थी।
आरटीओ कार्यालय में हड़कंप
पुलिस कार्रवाई से आरटीओ में हड़कंप मचा है। संदेही दलाल व एवजी फरार हो गए हैं। अजहर, बाली, प्रदीप, सोनू कौशल, तौसिफ आदि की सूची लेकर पुलिस छानबीन करने पहुंची, पर कोई भी नहीं मिला। अजहर खुद को कांग्रेस नेताओं का करीबी बताता है। तौसिफ भी देवेंद्र यादव के नाम से काम करवाता है।
दोपहर बाद खुले कमरों के ताले
आरटीओ में फर्जी मार्कशीट से हैवी लाइसेंस बनवाने वाले एजेंटों के पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद लगातार दूसरे दिन सन्नाटा रहा। लाइसेंस सेक्शन में दोपहर बाद ताले खुले। फर्जी मार्कशीट से लाइसेंस बनवाने 6 एजेंटों को पुलिस ने बुधवार को आरटीओ से हिरासत में लिया था। अब पुलिस कुछ एजेंटों के घर भी पहुंची। इस मामले में अब प्रकाश नामक एजेंट को भी तलाश रही है।