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कांग्रेस के गढ़ अमेठी में गांधी परिवार को हराने की कोशिश में लगी बीजेपी




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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाले अमेठी संसदीय क्षेत्र में कई योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास करेंगे.

इसके अलावा वहां एक जनसभा को भी संबोधित करेंगे. रायबरेली के बाद मोदी अब कांग्रेस के दूसरे सबसे अहम गढ़ का रुख़ कर रहे हैं. कार्यक्रम की तैयारियों का जायज़ा लेने के लिए केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी शनिवार को ही अमेठी पहुंच गईं हैं.

बीजेपी ने अभी ये घोषणा नहीं की है कि अमेठी से स्मृति ईरानी ही पार्टी की उम्मीदवार होंगी लेकिन माना यही जा रहा है.

स्मृति ईरानी पिछला लोकसभा चुनाव कांग्रेस उम्मीदवार राहुल गांधी से एक लाख से अधिक वोटों से हार गईं थीं, बावजूद इसके वो अमेठी का लगातार दौरा करती रही हैं और लोगों से संवाद करती रही हैं.

पिछले दिनों अमेठी से हज़ारों लोगों को कुंभ दर्शन कराने के लिए स्मृति ईरानी की ओर से मुफ़्त में बसों की व्यवस्था की गई थी.

सरकारी योजनाओं का लाभ अमेठी वालों को मिले, स्मृति ईरानी की कोशिश इन सबमें विशेष तौर पर होती है और बीजेपी वालों की मानें तो कई योजनाओं को अमेठी के लिए स्वीकृत कराने में भी उन्हीं की ख़ासी भूमिका रही है.

बीजेपी के ज़िलाध्यक्ष दुर्गेश त्रिपाठी कहते हैं कि स्मृति ईरानी के यही सब काम हैं जिनकी बदौलत हम 2019 में चुनाव जीतने जा रहे हैं.

वो कहते हैं, “केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के चलते हम एक-एक परिवार के चूल्हे तक पहुंच चुके हैं. उज्ज्वला योजना का लाभ जिन्हें मिला है वो बीजेपी को भूल नहीं सकते. स्मृति दीदी दीपावली पर लोगों को उपहार बांटती हैं, हरिद्वार और कुंभ की यात्रा कराती हैं, कुम्हारों को उन्होंने चाक बांटे हैं, लोगों को मधुमक्खी पालन से जोड़ा है. उन्होंने अमेठी को परिवार की तरह देखा है, इसलिए अमेठी भी अब उन्हें अपना मान रहा है.”

दरअसल, स्मृति ईरानी अमेठी के लोगों के लिए हर वह काम करने की कोशिश करती हैं जिनसे राहुल गांधी या गांधी परिवार की अहमियत को नकारा जा सके. काम करने के बाद इस बात का एहसास भी कराती रहती हैं.

अमेठी में यदि राहुल गांधी की ओर से वॉलीबॉल किट बांटे गए तो स्मृति ईरानी ने क्रिकेट प्रतियोगिता कराईं. स्मृति ईरानी ने अमेठी के हज़ारों लोगों को प्रयागराज में कुंभ मेला तक भेजने के लिए बसों की व्यवस्था कराई.

स्थानीय पत्रकार असग़र हैं, “बीजेपी का दावा है कि एक साल में योगी-मोदी की सरकार के चलते अमेठी में 22 हज़ार मकान बने, 123 आंगनबाड़ी केंद्र बने, 550 ग्राम पंचायतों में अंत्योदय योजना के तहत 1 लाख 70 हज़ार लोगों का कार्ड बनाया गया. स्मृति ईरानी ने 100 कुम्हारों को इलेक्ट्रिक चाक और 50 मधुमक्खी पालकों को 500 मधुमक्खी बक्सों का वितरण किया. ये ऐसे काम हैं जिससे बीजेपी ने लोगों के घर तक पहुंचने और उन्हें बीजेपी से जोड़ने की कोशिश की है.”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अमेठी में क़रीब 5 हजार करोड़ रुपये की 17 परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास करेंगे. निश्चित तौर पर इसके साथ प्रधानमंत्री एक बार फिर उस बात की चर्चा करेंगे कि पिछले ‘साठ-सत्तर साल में कांग्रेस पार्टी ने कुछ नहीं किया है’. लेकिन कांग्रेस पार्टी का कहना है लोकार्पित होने वाली योजनाएं वही हैं जिन्हें यूपीए सरकार ने शुरू किया था.

पार्टी नेता चंद्रकात दुबे कहते ,”राहुल जी ने जो भी योजनाएं यहां स्वीकृत कराईं वो दीर्घकालिक और अमेठी के समग्र विकास पर केंद्रित थीं. इन योजनाओं का लाभ यहां के लोगों को न मिले, इसलिए उन्हें रोककर रखा गया था और चुनाव से पहले अब उनका शिलान्यास करकर इसका राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश कर रही है.”

अमेठी को कांग्रेस का गढ़ कहा जाता है, इसलिए कि कांग्रेस पार्टी यहां से सिर्फ़ दो बार चुनाव हारी है. एक बार 1977 में जब यहां से लोकदल उम्मीदवार ने रवींद्र प्रताप सिंह ने अपना पहला चुनाव लड़ रहे संजय गांधी को हराया और दूसरी बार 1998 में, जब बीजेपी उम्मीदवार संजय सिंह ने कांग्रेस के कैप्टन सतीश शर्मा को हराया.

इन दो मौकों को छोड़कर उप-चुनाव और आम चुनाव मिलाकर कांग्रेस पार्टी ने इस सीट पर 13 बार जीत दर्ज की है और गांधी परिवार का कोई भी सदस्य हमेशा बड़े अंतर से चुनाव जीतता रहा है. स्मृति ईरानी मोदी लहर में भी एक लाख से ज़्यादा वोटों से हारी थीं. ऐसे में सवाल उठता है कि बीजेपी जो कोशिशें कर रही है, क्या इस बार वो उसे ये सीट दिला पाने में क़ामयाब होंगी.

वरिष्ठ पत्रकार अमिता वर्मा कहती हैं, “अमेठी में लोग ख़ुद को गांधी परिवार की सीट का मतदाता समझने में गर्व का अनुभव करते हैं. उन्हें लगता है कि इस सीट से बाहर उनकी एक अलग पहचान है. दूसरे, अमेठी में विकास कम हुआ हो या ज़्यादा, लेकिन जो कुछ भी हुआ है, उसका श्रेय गांधी परिवार को ही जाता है. पांच साल में एनडीए सरकार ने कोई ऐसी उपलब्धि वहां नहीं हासिल की, जिसकी तुलना में लोग इन कार्यों को भूल जाएं. ऐसे में गांधी परिवार के किसी सदस्य की मौजूदगी में कोई और चुनाव जीत जाए, इसकी उम्मीद कम ही है.”

अमेठी के वरिष्ठ लोगों का कहना है कि राजीव गांधी और उसके बाद सोनिया गांधी की पहुंच घर-घर थी. राजीव गांधी तो तमाम लोगों को नाम से जानते थे और अक़्सर गांवों के दौरे पर निकल जाते थे. यही नहीं, दिल्ली में अमेठी वासियों की समस्याओं की सुनवाई और उनके समाधान की विशेष व्यवस्था होती थी.

स्थानीय लोगों के मुताबिक़, राहुल गांधी के जनसंपर्क का तरीक़ा उससे अलग है. वहीं स्मृति ईरानी और बीजेपी ने भी लगभग उसी तरीक़े से अमेठी के लोगों में पैठ बनाने की कोशिश की है, जो कभी गांधी परिवार किया करता था.

जानकारों के मुताबिक, स्मृति ईरानी चुनाव हारने के बावजूद अमेठी का लगातार दौरा इसलिए भी करती रही हैं ताकि पार्टी के भीतर भी वो ये महसूस करा सकें कि उनके अलावा यहां कोई और दावेदारी पेश करने वाला नहीं है. पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के बाद अब प्रधानमंत्री मोदी को भी यहां लाकर ये संदेश भी देने में क़ामयाब हो जाएंगी कि पार्टी आलाकमान का भी वरद हस्त उनके साथ है.

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