Home समाचार हाईकोर्ट ने प्रदेश में शराब के विज्ञापनों पर लगाई रोक, राज्य सरकार...

हाईकोर्ट ने प्रदेश में शराब के विज्ञापनों पर लगाई रोक, राज्य सरकार को दिया निर्देश




IMG-20240704-WA0019
IMG-20220701-WA0004
WhatsApp-Image-2022-08-01-at-12.15.40-PM
1658178730682
WhatsApp-Image-2024-08-18-at-1.51.50-PM
WhatsApp-Image-2024-08-18-at-1.51.48-PM

इलाहाबाद। हाईकोर्ट ने प्रदेश भर के सिनेमा घरों, पत्र-पत्रिकाओं, समाचार पत्रों, टीवी चैनलों और इलेक्ट्रानिक मीडिया पर शराब के प्रचार विज्ञापन पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा है कि सीडी, म्यूजिक कैसेट, गोल्फ बॉल के विज्ञापन के जरिए परोक्ष रूप से भी शराब का विज्ञापन न किया जाए।

राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि इसका कड़ाई से पालन किया जाए। सरकार, आबकारी आयुक्त और पुलिस अधिकारी इस निर्देश का उल्लंघन करने वालों पर कड़ी कार्रवाई करें। कोर्ट का कहना था कुछ कंपनियां प्रत्यक्ष रूप से शराब का विज्ञापन न करके परोक्ष रूप से (सेरोगेसी की तरह) विज्ञापन दे रही हैं। ऐसा भी नहीं किया जा सकता है।

आबकारी विभाग की निंदा करते हुए कोर्ट ने कहा कि विभाग राजस्व के लालच में संविधान और कानून की अनदेखी कर रहा है। स्ट्रगल अगेंस्ट पेन के अध्यक्ष मनोज मिश्र की जनहित याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और न्यायमूर्ति अजित कुमार की पीठ ने दिया। कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वह याची को 25 हजार रुपये हर्जाने का भुगतान भी करे। याचिका में पक्षकार बनाई गई शराब निर्माता कंपनियों को भी हर्जाने की राशि का भुगतान करने के लिए कहा गया है।

कोर्ट ने कहा कि कई शराब कंपनियां दूसरे उत्पादों के साथ अपने ब्रांड का विज्ञापन परोक्ष रूप से कर रही हैं। ऐसा करना शराब को बढ़ावा देना है। संविधान के अनुच्छेद 47 और आबकारी कानून की धारा तीन में दवा बनाने के सिवाय नशीले पदार्थों के प्रचार को प्रतिबंधित किया गया है। चूंकि इसके विज्ञापन से सरकार को काफी राजस्व मिलता है और उसकी अच्छी आमदनी होती है इसलिए सरकार कानून का पालन नहीं कर रही है। सरकार परोक्ष रूप से शराब के विज्ञापन की अनुमति दे रही है जो गलत है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here