Home छत्तीसगढ़ Lok Sabha Election: लालकृष्ण आडवाणी को टिकट नहीं, सिंधी समाज नाराज

Lok Sabha Election: लालकृष्ण आडवाणी को टिकट नहीं, सिंधी समाज नाराज




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लोकसभा चुनावों की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। उम्मीदवारों की सूची जैसे-जैसे सामने आती जा रही हैं, नाराजगी के स्वर भी तेज होते जा रहे हैं। हमेशा भाजपा का झंडा थामकर खड़ा रहने वाला सिंधी समाज इस बार खासा नाराज है। कारण है समाज के एक भी प्रतिनिधि को लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया है। बीते चुनाव में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी गांधीनगर से सांसद थे। इस बार उनका टिकट काटने के बाद अब तक घोषित नामों में किसी समाजजन को प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है।

पदाधिकारियों के अनुसार सिंधी मतदाताओं की प्रदेश और आसपास के राज्यों में सर्वाधिक संख्या इंदौर और भोपाल में है। बावजूद इसके विधानसभा चुनाव में भी पार्टी ने समाज के उम्मीदवारों को मौका नहीं दिया। अब समाज की कोर कमेटी टिकट वितरण के बाद बैठक बुलाकर आगे की रणनीति तय करेगी। सिंधी समाज के पदाधिकारियों ने पिछले दिनों दिल्ली पहुंचकर भाजपा के राष्ट्रीय पदाधिकारियों के समक्ष यह मुद्दा उठाया था। समाज ने आपत्ति लेते हुए कहा था कि समाज को प्रतिनिधित्व नहीं दिया जाना ठीक नहीं है। समाज जनसंघ के गठन से ही भाजपा के साथ खड़ा है। इस पर भाजपा पदाधिकारियों ने उन्हें आश्वस्त किया था कि आगे कहीं एडजस्ट कर दिया जाएगा।

समाज पदाधिकारियों के अनुसार इंदौर विधानसभा चार और भोपाल के बैरागढ़ विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या सर्वाधिक है। मध्यप्रदेश में करीब 14 लाख सिंधी मतदाता हैं। प्रदेश के 30 जिलों की 50 विधानसभाओं में भी सिंधी समाज के प्रभावी वोट हैं। इंदौर में सवा लाख व भोपाल में डेढ़ लाख मतदाता हैं। रीवा, कटनी, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन, बुरहानपुर, खंडवा में भी अच्छी संख्या में समाज के मतदाता है। गुजरात व राजस्थान के इलाकों में प्रभावी संख्या की वजह से समाज दावेदारी करता रहा है।

भाजपा से नाराजगी को भुनाने में जुटी कांग्रेस

सिंधी समाज की इस नाराजगी को भुनाने के प्रयास कांग्रेस ने भोपाल में शुरू कर दिए हैं। दरअसल बैरागढ़ विधानसभा क्षेत्र में सिंधी मतदातओं की संख्या खासी अधिक है। विधानसभा चुनाव में भाजपा ने यहां से सिंधी उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया था जबकि कांग्रेस ने सिंधी उम्मीदवार को मैदान में उतारा था। अब जबकि कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को भोपाल से प्रत्याशी बनाया है। भाजपा में यहां से उम्मीदवार को लेकर मंथन चल रहा है। कांग्रेस साढ़े चार लाख मुस्लिम और करीब डेढ़ लाख सिंधी मतदाताओं को लुभाने में जुटी है। कांग्रेस नेताओं ने सिंधी समाज के पदाधिकारियों से संपर्क कर भाजपा की वादाखिलाफी और कांग्रेस द्वारा समाज के पदाधिकारी को विधानसभा चुनाव में टिकट दिए जाने को लेकर चर्चा शुरू कर दी है।

आडवाणी को राज्यसभा में भेज दो

दिल्ली में भाजपा के पदाधिकारियों से चर्चा हुई है। समाज ने मांग की है कि आडवाणी को राज्यसभा में भेजें और भारत रत्न दे दें। 50 हजार एंग्लोइंडियन में से दो को राज्यसभा में भेज देते हैं तो सिंधी समाज से एक सीट तो राज्यसभा के लिए देना चाहिए। – श्रीकांत भाटिया, पूर्व उपाध्यक्ष, राष्ट्रीय सिंधी भाषा एवं विकास परिषद

पार्टी टिकट नहीं देगी तो समाज अपना स्टैंड तय करेगा। हमारी कोर कमेटी की मीटिंग होने वाली है। उसमें फैसला कर सार्वजनिक करेंगे। -भगवानदेव इसरानी, सिंधु पंचायत के अध्यक्ष व पूर्व प्रमुख सचिव मप्र विधानसभा

उपेक्षा ठीक नहीं…

पिछली बार भी एक ही सीट मिली थी आडवाणी को। अब तक जो सीट घोषित हुई है उसमें से समाज को एक भी सीट नहीं दी गई है। जनसंघ के गठन के दौरान ही 30 प्रतिशत से ज्यादा सिंधी समाज के लोग साथ थे। अब भी 80 प्रतिशत से ज्यादा समाज का वोट भाजपा को ही जाता है। हम अमित शाह से चर्चा करेंगे कि सिंधी समाज की उपेक्षा ठीक नहीं है। – घनश्याम कुकरेजा, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, भारतीय सिंधु सभा नागपुर

हर स्तर पर समाज को साथ लेकर चल रही भाजपा

सिंधी समाज हमेशा भाजपा से जुड़ा रहा है। जहां-जहां आवश्यकता हुई हर स्तर पर संगठन और सत्ता में उचित स्थान मिला है। सिंधी समाज राष्ट्रवादी समाज है, उन्होंने भारत के विभाजन के दर्द को सहा है। अपने पुरुषार्थ से समाज ने देश में स्थान बनाया है। पार्टी हमेशा उनके साथ है, उपेक्षा का सवाल ही पैदा नहीं होता।– कैलाश विजयवर्गीय, राष्ट्रीय महासचिव भाजपा