Home छत्तीसगढ़ नरवा, गरूवा, घुरवा, बारी : पांच सौ से अधिक गायों की देखरेख,...

नरवा, गरूवा, घुरवा, बारी : पांच सौ से अधिक गायों की देखरेख, भोजन-पानी का शानदार प्रबंध




IMG-20240704-WA0019
IMG-20220701-WA0004
WhatsApp-Image-2022-08-01-at-12.15.40-PM
1658178730682
WhatsApp-Image-2024-08-18-at-1.51.50-PM
WhatsApp-Image-2024-08-18-at-1.51.48-PM

प्रदेश सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरूवा, घुरवा, बारी से गांवों की तस्वीर बदलने लगी है। जशपुर जिले के विकासखंड मुख्यालय दुलदुला में इस योजना के तहत् गांवों में पशुआंे विशेषकर गौवंशी पशुओं के लिए बनाए जा रहे गौठान का दृश्य देखकर ऐसा लगता है कि अब ग्रामीण अर्थव्यवस्था इसके इर्द-गिर्द ही घूमेगी। हम जानते हैं कि गांव, ग्रामीण, किसान और पशु हमेशा से ही एक-दूसरे पर आश्रित रहे हैं। समय के साथ इनके बीच कम होते गए  सरोकार से कमजोर होती गई ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नवजीवन देने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार की नरवा, गरूवा, घुरूवा, बारी योजना निःसंदेह संजीवनी का काम करेगी। 
   जशपुर जिले के दुलदुला में नरवा, गरूवा, घुरवा, बारी इस योजना के तहत् 6 एकड़ से ज्यादा रकबे में बने गौठान में पशुओं को खाते-पीते, विचरण करते और चौकड़ी भरते और अमराई की छांव में विश्राम करते देखकर ऐसा लगता है जैसे-गोकुलधाम दुलदुला की इस धरती पर बस गया हो। गौठान में लगभग 507 पशुओं के विश्राम, चारे-पानी की व्यवस्था के साथ-साथ उनके स्वास्थ्य की देखभाल के पशु चिकित्सक की व्यवस्था की गई है। 
     जनपद सी.ई.ओ. श्री प्रेम सिंह मरकाम ने बताया कि गौठान में पशुओं के लिए फिलहाल 9 नग पानी टंकी, चारे के लिए 9 नग कोटना का निर्माण कराया गया है। पशुओं के विश्राम के लिए यहां घास-फूस युक्त छाया और चबूतरे का निर्माण किया गया है। इस गौठान के एरिया में बड़ी संख्या में आम के पेड़ लगे हुए हैं। अमराई की छांव में भी पशुओं के बैठने की व्यवस्था की गई है। यहां पशुओं की देख-रेख के लिए 84 लोगों की एक समिति बनी है। रोजाना इस समिति के 5-5 सदस्य बारी-बारी से पशुओं के देख-रेख की जिम्मेदारी निभाते हैं। 
    गौठान में आने वाले पशुओं के लिए गांव की स्व-सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं और ग्रामीणजन चारे के रूप में स्व-स्फूर्त रूप से पैरे का दान कर रहे है। चारा रखने के लिए 7 मचान बनाए गए हैं। यहां स्व-सहायता समूह की महिलाएं स्वीमिंग पूल का भी निर्माण कर रही है। गौठान के एरिया में 500 नग नारियल वृक्ष के रोपण की तैयारी के लिए गड्ढे खोदे गए है। पशुओं के पेयजल के लिए सोलर पंप स्थापित किया गया है। श्री मरकाम ने बताया कि कृषि विभाग द्वारा यहां वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने के लिए 25 नग वर्मी बेड तथा 2 नाडेप टांके बनाए गए हैं। गौठान में गोबर गैस, वर्मी एवं कम्पोस्ट खाद तैयार करने के साथ ही यहां गौमूत्र शोधनयंत्र तथा अगरबत्ती निर्माण से भी ग्रामीणों को जोड़ा जाएगा। 
    श्री मरकाम ने बताया कि दुलदुला के गौठान में आने वाले पशुओं के लिए हरे चारे की व्यवस्था भी की जा रही है। लगभग 5 एकड़ रकबे में मक्का और बाजरा की बुआई की गई है। उन्होंने बताया कि गौठान के समीप में ही बारहमासी श्रीनदी नाला बहता है। इस नाले पर नदेराटुकू में स्टॉप डेम बनाया गया है, जिसमें भरपूर पानी है। उन्होंने बताया कि यहां पर लिफ्ट एरिगेश्न के माध्यम से चारागाह में सिंचाई की व्यवस्था की जाएगी। नाले के बहते पानी को रोकने के लिए यहां बोल्डर चेक आदि का भी निर्माण कराया जाएगा। दुलदुला गांव में उद्यानिकी विभाग द्वारा बाड़ी विकास का भी काम किया जा रहा है। यहां दस हितग्राहियों का चयन बाड़ी विकास के लिए किया गया है।