बिलासपुर मेंठाकुर छेदीलाल बैरिस्टर कृषि कॉलेज एवं अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने आम के घटते पेड़ों पर चिंता जताते हुए एक अनूठी मुहिम शुरू की है। उन्होंने शहरभर के लोगों से कहा है कि वे आम खाएं पर गुठलियां फेकें नहीं। इसे वे सहेजकर रख लें। वैज्ञानिक उनके घर आएंगे या कंटेनर भिजवाएंगे। ताकिहम इन्हें एकत्रित कर सकें और इन गुठलियों से आम के पौधे तैयार करवासकें।
कृषि विज्ञान केंद्र के डीन आर तिवारी के मुताबिक, “14 जूनसे यह स्कीम शुरू हो जाएगी। नगर निगम से कंटेनर मंगवाए हैं और खरीदे भी हैं। इसे ही शहर में ठेले, गुमटियां और दुकानों के पास रखेंगे।”कृषि कॉलेज ने अपील की है कि लोग आम खाकर गुठलियां इकट्ठी करने के लिए 98271-60450 और 07752-354379 हेल्पलाइन की मदद ले सकते हैं।
बूढ़े पेड़ों को बनाया जवान
- कृषि विज्ञान केंद्र ने बूढ़े पेड़ों को जवान बनाने के लिए नया प्रयोग किया है। आम के पेड़ों को क्रॉफ्ट कर इनमें बोडोपेस्ट किया गया। इससे करीबडेढ़ सौ बूढ़े पेड़ों पर पौधों हरियालीछा गई है। नए तने, पत्ते और आने वाले दिनों में इन पर फिर से फल नजर आ रहे हैं।
- इन पेड़ों की उम्र 40 से 50 साल है। वैज्ञानिकों का दावा है कि नए जीवन में आम के ये पेड़ पहले से ज्यादा फल देंगे। पुनर्जीवित करने कटाई कर केमिकल का लेप लगाया गया है। इनमें लंगड़ा, बादामी, चौसा, दशहरी, तोतापरी और सुंदरजा आम की प्रजातियों पर यहप्रयोग किया गया।