ब्राह्मण समाज ने आर्टिकल-15 फिल्म के रिलीज पर रोक लगाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। फिल्म को लेकर समाज ने देशभर के कई सिनेमाघरों के बाहर नारेबाजी की। बैनर और पोस्टर फाड़ दिए। कानपुर में बवाल को देखते हुए प्रबंधन ने पहले शो को इंटरवल के बाद बंद कर दिया। दर्शकों को टिकट के पैसे भी लौटा दिए। पुलिस और पीएसी के तैनात होने के बावजूद एक थिएटर को छोड़कर बाकी सिनेमाघरों ने फिल्म का संचालन नहीं किया।
फिल्म आर्टिकल-15 के रिलीज होने पर कटरा सआदतगंज में कोई बवाल न हो, इसलिए शुक्रवार सुबह ही इस गांव को छावनी बना दिया गया। डेढ़ सेक्शन पीएसी और छह थानों की पुलिस सुबह से लेकर दोपहर तक गांव में डेरा डाले रही। बाद में पुलिस ने गांव में घूमकर हालात देखे और गांव में मामला शांत देखकर दोपहर बाद पुलिस और पीएसी को हटा लिया गया।
उधर ब्राह्मण समाज के लोगों के भारी विरोध को देखते हुए रुड़की में फिल्म आर्टिकल-15 के प्रदर्शन पर रोक लगा दी गई है। एएसडीएम के आदेश के अनुपालन में सिविल लाइंस कोतवाली पुलिस ने सिनेमा हॉल मालिकों को अग्रिम आदेशों तक फिल्म प्रदर्शित नहीं करने के आदेश जारी किए हैं। दूसरी ओर, हरिद्वार में ब्राह्मण संगठनों ने सिडकुल स्थित सिनेमाघर के बाहर आर्टिकल-15 के विरोध में नारेबाजी करते हुए फिल्म का शो बंद करा दिया। इस दौरान सिनेमा हॉल पर भारी पुलिस बल तैनात रहा।
फंदे पर लटकी मिलीं किशोरियों के भाई ने बताया कि फिल्म आर्टिकल-15 में सब उल्टा सीधा दिखाया गया है। उनकी जातियां भी बदली गई हैं। वह अब कोर्ट जाएगा और फिल्म निर्माता के खिलाफ कार्रवाई की मांग करेगा। यहां बता दें कि तीन दिन पहले ही इलाहाबाद हाईकोर्ट में कानपुर के सामाजिक कार्यकर्ता पंकज दीक्षित की ओर से याचिका दाखिल करके फिल्म के प्रसारण पर रोक लगाने की मांग की गई थी।
प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि फिल्म के निर्देशक अनुभव सिन्हा ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक गांव में हुए चचेरी बहनों की दुष्कर्म के बाद हत्या पर फिल्म बनाए जाने की बात कही थी, लेकिन ये फिल्म सत्य घटना के विपरीत है। इसमें निर्देशक ने ब्राह्मण को दुराचार और हत्या का आरोपी बताते हुए पूरे ब्राह्मण समाज की छवि धूमिल की है, जो सही नहीं है