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छत्तीसगढ़ /सरकारी स्कूल : टपक रहा बारिश का पानी, किचन में चल रही क्लास, खुले में शौच के लिए जा रहीं बच्चियां


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 शिक्षा की नींव पर ही राज्य की बुलंद इमारत खड़ी होती है। बड़ी चुनौती इस नींव को मजबूत करने की है, लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार सिर्फ दावे तक सीमित है। सरकार के इन स्कूलों की दुर्दशा का खामियाजा प्राइमरी से लेकर हायर सेकंडरी तक के बच्चे भुगत रहे हैं। शहर और आस-पास के स्कूलों में जाकर देखा तो तमाम समस्याएं सामने आईं। बेहतर शिक्षा तो दूर स्कूलों में टीचर तक नहीं हैं। जहां हैं तो वे पढ़ा ही नहीं रहे हैं। स्वीपर बच्चों की क्लास ले रहा है। 

पिछले साल कमरे का छज्जा गिरा, तो किचन में लगने लगी क्लास

  1. प्राथमिक स्कूल प्रभात चौक में जाकर देखा तो स्कूल में एक ही शिक्षक मिलीं। दूसरी कक्षा में मैडम पढ़ाती मिलीं। ये समस्या तो सालों से है ही इसके अलावा भी कई समस्याओं से स्कूल जूझ रहा है। बिरकोना के प्राथमिक बालक और बालिका स्कूल में चारों ओर गंदगी फैली है। बारिश के समय बालकों की कक्षाओं में पानी टपकता है। इसी हालात में बच्चे पढ़ने को मजबूर हैं। 
  2. बालिकाओं की क्लास किचन में चल रही है। पिछले साल एक कमरे का छज्जा गिर गया था। जिसे आज तक ठीक नहीं किया गया है। नवीन प्राथमिक शाला सिरगिट्टी की बच्चियां खुले में शौच करने को मजबूर हैं। शौचालय के दरवाजे टूटे हैं। सफाई तो होती ही नहीं है। बच्चे सालों से बिना टाट पट्टी के जमीन पर बैठकर पढ़ रहे हैं। खास बात कि वहीं कक्षा में चावल के बारे भी रखे हैं। 
  3. नवीन प्राथमिक स्कूल सिरगिट्‌टी
    • कुल बच्चे 158, 84 बच्चियां, 6 शिक्षक 
    • शौचालय में दरवाजे नहीं। खुले में जा रहीं बच्चियां और शिक्षक। 
    • बाउंड्रीवॉल नहीं। असामाजिक तत्वों का जमावड़ा। हैंडपंप सूखा। पानी की समस्या। 
    • कक्षाओं में रखे हैं चावल के बोर। 
    • बच्चों को बैठने के लिए टाट पट्टी तक नहीं 
  4. प्राथमिक स्कूल बालक और बालिका बिरकोना 
    • बालक : 146 बच्चे, 6 शिक्षक 
    • खपरैल का स्कूल, बारिश में टपक रहा पानी। नया भवन नहीं बन पाया। स्कूल कैंपस में चारों ओर बारिश का पानी और गंदगी। मध्यान्ह भोजन में मीनू का पालन नहीं। 
    • बालिका: 129 बच्चे, 6 शिक्षक 
    • पिछले साल एक कमरे का छज्जा अभी तक नहीं बन सका। बालक और लड़कियों के लिए एक ही शौचालय। 
    • कुल 109 बच्चे, 48 बच्चियां, सिर्फ तीन शिक्षक, एक छ़ुट्टी में 2015 में बना। उद्घाटन अभी तक नहीं हुआ। 
    • बाउंडीवॉल नहीं, असमाजिक तत्व से परेशान 
    • शौचालक नहीं, खुले में जा रही बच्चियां और शिक्षक 
    • पानी की समस्या। 
    • बिजली मीटर नहीं। जुगाड़ से जल रही। 
    • शिक्षकों की कमी, स्वीपर ले रहा बच्चों की क्लास। 
  5. मिलजुलकर समस्या दूर करेंगे इधर ज्वाइंट डायरेक्टर आरएस चौहान का कहना समस्याओं के निराकरण के प्रयास किए जा रहे हैं। कुछ स्कूलों में जरूरत से ज्यादा शिक्षक हैं। उन्हें जहां शिक्षक नहीं हैं मर्ज करने की कोशिश करेंगे। समस्याएं मिलजुलकर ही दूर की जा सकती हैं। 
  6. निराकरण के लिए सूची भेजी है क्या ये समस्या दूर हो पाएंगी पूछने पर डीईओ आरएन हीराधर ने कहा कि समस्याओं के निराकरण के लिए हमने सूची भेजी है। चूंकि बहुत सारे स्कूलों में ऐसी समस्याएं हैं। स्वीकृति कम ही मिलती है। इसलिए पूरी तरह से समस्या दूर नहीं हो पाती हैं।